Carelessness or Miracle: मौत का ऐलान, अंतिम संस्कार की तैयारी और फिर ज़िंदा हो गई बुज़ुर्ग, लापरवाही या चमत्कार?
Carelessness or Miracle: एक चौंका देने वाली घटना सामने आई है, जिसने विज्ञान और विश्वास के बीच बहस छेड़ दी है। कंपाउंडर ने मृत मान अंतिम संस्कार की तैयारियां आरंभ कर दीं...

Carelessness or Miracle: एक चौंका देने वाली घटना सामने आई है, जिसने विज्ञान और विश्वास के बीच बहस छेड़ दी है। कंपाउंडर ने मृत मान अंतिम संस्कार की तैयारियां आरंभ कर दीं। शोक में डूबे परिवारीजनों ने जैसे ही वृद्धा पर गंगाजल का छिड़काव किया, तभी अचानक उनके शरीर में हरकत हुई और सांसें चलने लगीं। झांसी के सीपरी बाजार थाना क्षेत्र अंतर्गत भोजला गांव से एक अजीबोगरीब और संदेहास्पद मामला सामने आया है, जो अब स्वास्थ्य तंत्र की लापरवाही की ओर इशारा कर रहा है। शुक्रवार सुबह 90 वर्षीय बुजुर्ग माया देवी को उनके परिजनों ने मृत मान अंतिम संस्कार की तैयारी शुरू कर दी थी। लेकिन अंतिम क्षणों में गंगाजल छिड़कते ही वृद्धा की सांसें लौट आईं। मामला अब सामान्य पारिवारिक घटना से निकलकर मेडिकल लापरवाही और संभावित आपराधिक लापरवाही की जांच का विषय बन गया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, सुबह 10 बजे माया देवी की अचानक तबीयत बिगड़ी और परिजनों ने उन्हें हिलाया-डुलाया, लेकिन कोई प्रतिक्रिया न मिलने पर पड़ोस में रहने वाले एक निजी कंपाउंडर को बुलाया गया। कंपाउंडर ने नब्ज जांचकर बुजुर्ग को मृत घोषित कर दिया। उसके इस कथन के बाद परिवार में कोहराम मच गया और अंतिम संस्कार की तैयारी शुरू कर दी गई। रिश्तेदारों को सूचना दी गई और ग्रामीण एकत्र हो गए। लेकिन जैसे ही पारंपरिक रीति से गंगाजल छिड़का गया, वृद्धा के शरीर में हरकत हुई और उसने सांस लेना शुरू कर दिया।
वृद्धा के जीवित होने की पुष्टि होते ही परिवार वाले दंग रह गए, और गांव में यह घटना आग की तरह फैल गई। हालांकि, यह घटना जहां कुछ लोगों के लिए आस्था का विषय बन गई, वहीं मेडिकल विशेषज्ञों और कानूनी दृष्टिकोण से यह एक गंभीर लापरवाही का मामला बनता दिखाई दे रहा है।
चिकित्सकों के अनुसार, यह घटना सर्कुलेटरी शॉक या अस्थायी श्वसन मंदता के कारण हो सकती है, लेकिन बिना किसी प्रमाण के एक अनधिकृत कंपाउंडर द्वारा मृत घोषित करना दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है। पुलिस यदि चाहें तो इस मामले में धारा 304A (लापरवाही से जान को खतरा) के तहत जांच प्रारंभ कर सकती है।
स्वास्थ्य विभाग को भी इस मामले का संज्ञान लेते हुए अनधिकृत चिकित्सा कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी गंभीर भूल दोहराई न जा सके।