बाबा केदार की नगरी में उमड़ा आस्था का सैलाब, टूटा साल 2024 का रिकॉर्ड, 16.56 लाख श्रद्धालुओं ने किए दर्शन, अब भी बाकी हैं 15 दिन के पुण्यपथ
Kedernath Yatra 2025: बर्फ से ढकी चोटियों के बीच स्थित बाबा केदारनाथ दिव्य धाम मानो श्रद्धालुओं के कदमों की आहट से आलोकित हो उठा है। इस वर्ष केदारनाथ यात्रा ने एक नया इतिहास रच दिया है

Kedernath Yatra 2025: उत्तराखंड की पावन वादियों में इस समय आस्था का महापर्व चरम पर है। मानसून की विदाई के बाद जब हिमालय की चोटियों पर बर्फ की चादर ने धरती का श्रृंगार किया, तब भी श्रद्धा का प्रवाह थमा नहीं। चारधाम यात्रा जो सनातन परंपरा का प्रतीक और देवभूमि की आत्मा मानी जाती है पुनः अपने पूर्ण वैभव पर है। हर ओर “हर-हर महादेव” और “जय बदरीविशाल” के जयघोष गूंज रहे हैं।
सबसे अधिक आकर्षण इस बार भी बाबा केदारनाथ धाम का है। बर्फ से ढकी चोटियों के बीच स्थित यह दिव्य धाम मानो श्रद्धालुओं के कदमों की आहट से आलोकित हो उठा है। इस वर्ष केदारनाथ यात्रा ने एक नया इतिहास रच दिया है। अब तक 16 लाख 56 हजार से अधिक श्रद्धालु भगवान शंकर के दर्शन कर चुके हैं, जबकि धाम के कपाट बंद होने में अभी 15 दिन शेष हैं। पिछले वर्ष की तुलना में यह आँकड़ा आगे निकल चुका है — 2024 में कुल 16 लाख 52 हजार श्रद्धालु पहुँचे थे। इस बार 8 अक्टूबर को ही 5614 भक्तों ने बाबा के चरणों में शीश नवाया। कपाट भैयादूज (23 अक्टूबर) के दिन बंद होंगे, परंतु भक्तों का उत्साह किसी तरह कम नहीं हुआ है।
केवल केदारनाथ ही नहीं, बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धामों में भी श्रद्धालुओं की भीड़ निरंतर बढ़ रही है। मानसून के प्रकोप, बादल फटने और भूस्खलन के बावजूद श्रद्धालु अपने ईश्वर के दर्शन हेतु डटे रहे। गंगोत्री धाम का धराली क्षेत्र भले प्रकृति की विनाशलीला से क्षतिग्रस्त हुआ हो, परंतु शासन-प्रशासन ने दिन-रात परिश्रम कर मार्गों को पुनः सुचारू किया। अब चारों धामों में यात्रा सुगमता से चल रही है।
प्रदेश सरकार ने भी इस धर्मयात्रा को सुरक्षित बनाने हेतु चाक-चौबंद इंतज़ाम किए हैं। संवेदनशील स्थलों पर सुरक्षा बल तैनात हैं, रास्तों पर मलबा हटाने के लिए जेसीबी तत्पर हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने कहा “यह केवल यात्रा नहीं, यह जन-जन की आस्था का उत्सव है। कोई भी श्रद्धालु कठिनाई में न पड़े, यही सरकार का धर्म है।”
30 अप्रैल को प्रारंभ हुई चारधाम यात्रा आज अपनी तेज़ रफ़्तार में है। यह यात्रा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि श्रद्धा, साहस और संकल्प की परिक्रमा बन चुकी है — जहाँ हर भक्त अपने भीतर के देवत्व से साक्षात्कार कर रहा है। देवभूमि की हवा में इस समय बस एक ही स्वर गूंज रहा है- “जय केदार, जय बदरीविशाल ”