Bihar Assembly Election 2025: चुनाव की तारीख नजदीक आते की नेताओं में दिखी हलचल! खेसरहिया गांव पहुंचीं पूर्व विधायिका आशा देवी, ग्रामीणों से जरूरी मुद्दों पर की बात

Bihar Assembly Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले बड़हरा क्षेत्र की पूर्व विधायिका आशा देवी ने खेसरहिया गांव में जनसंपर्क अभियान चलाया। ग्रामीणों ने सड़क, पानी, बिजली और सरकारी योजनाओं को लेकर गंभीर समस्याएं रखीं।

Bihar Assembly Election 2025: चुनाव की तारीख नजदीक आते की ने
खेसरहिया गांव पहुंचीं पूर्व विधायिका आशा देवी- फोटो : news4nation

Bihar Assembly Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है वैसे-वैसे सियासी गतिविधियां भी तेज होती जा रही हैं। इसी कड़ी में भोजपुर के बड़हरा विधानसभा की पूर्व विधायिका आशा देवी मंगलवार को कोइलवर प्रखंड अंतर्गत खेसरहिया गांव पहुंचीं। यहां उन्होंने मां काली मंदिर में पूजा-अर्चना कर आशीर्वाद लिया। इसके बाद उन्होंने गांव में जनसंपर्क अभियान चलाया, जिसमें सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण जुटे।

गांव की महिलाओं ने आशा देवी का माला पहनाकर भव्य स्वागत किया और क्षेत्र की प्रमुख समस्याएं उनके समक्ष रखीं। ग्रामीणों ने बताया कि गांव में सड़कें जर्जर हालत में हैं और वर्षों से कोई मरम्मत नहीं हुई है। पानी निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं होने से सड़कें सालों भर जलमग्न रहती हैं।

पूर्व विधायिका आशा देवी ने जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा, “यह गांव वर्षों से उपेक्षित रहा है। जब मैं विधायक थी, तब गांव की सड़कें बनवाई थीं, लेकिन पिछले 15 सालों से किसी ने इसकी सुध नहीं ली। सड़कें अब पूरी तरह गड्ढे में तब्दील हो चुकी हैं। यहां के लोगों को इंदिरा आवास, वृद्धा पेंशन और राशन कार्ड तक नहीं मिला है। मैं लगातार इस गांव में आती रही हूं और इन समस्याओं से परिचित हूं। अगर मुझे पुनः मौका मिलता है, तो अधूरे कार्यों को पूरा करूंगी।”

उन्होंने यह भी बताया कि महज ढाई किलोमीटर की दूरी तय करने में उन्हें एक घंटे का समय लग गया, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि सड़क की स्थिति कितनी खराब है। उन्होंने कहा कि चुनाव के समय नेता वोट मांगने तो आते हैं लेकिन बाद में जनता की समस्याओं को नजरअंदाज कर देते हैं।

वहीं, गांव की महिला अनीता देवी ने बताया कि पहले कायमनगर से गांव तक पहुंचने में 10 से 15 मिनट लगते थे, लेकिन अब एक घंटे से ज्यादा समय लग रहा है। गड्ढों और जलजमाव के कारण आए दिन दुर्घटनाएं होती हैं। शौचालय, आवास और अन्य सरकारी योजनाएं यहां के घरों तक नहीं पहुंची हैं। गरीबों पर स्मार्ट मीटर का बोझ भी बढ़ गया है और बिजली बिल लोगों की जेब पर भारी पड़ रहा है।ग्रामीणों ने एक सुर में कहा कि अबकी बार वे सोच-समझकर ही अपना प्रतिनिधि चुनेंगे, जो वास्तव में गांव की तस्वीर बदले।

आरा से  आशीष कुमार की रिपोर्ट