Maoist activities: पटना में हाई अलर्ट के बीच झारखंड-बिहार सीमा पर माओवादियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई! पुलिस ने बरामद किए पांच IED बम, नक्सल विरोधी अभियान लगया सेंध

Maoist activities: झारखंड के पलामू और बिहार के औरंगाबाद की सीमा पर संयुक्त पुलिस सर्च ऑपरेशन में पांच IED बम बरामद किए गए। माओवादी गतिविधियों पर यह बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है।

Maoist activities
Maoist activities- फोटो : SOCIAL MEDIA

Maoist activities: झारखंड के पलामू जिला और बिहार के औरंगाबाद की सीमा पर मंगलवार को माओवादियों के खिलाफ संयुक्त सर्च ऑपरेशन में सुरक्षा बलों को बड़ी सफलता मिली है। छकरबंधा जंगल के पास स्थित पंचरुखिया इलाके से पांच शक्तिशाली IED बम बरामद किए गए हैं, जिन्हें उग्रवादियों ने एक पहाड़ी की तलहटी में छिपा रखा था।

इस ऑपरेशन की अगुवाई पलामू के अभियान एएसपी राकेश कुमार सिंह ने की, जिनका कहना है कि यह क्षेत्र माओवादियों का पुराना सुरक्षित ठिकाना रहा है। कार्रवाई में सीआरपीएफ, झारखंड जगुआर, एसटीएफ बिहार, और पलामू-औरंगाबाद पुलिस शामिल रही।

कैसे मिली जानकारी और कैसे चला ऑपरेशन?

इस ऑपरेशन की शुरुआत एक खुफिया सूचना से हुई थी, जिसमें बताया गया था कि कुख्यात माओवादी कमांडर नितेश यादव ने पंचरुखिया के इलाके में भारी मात्रा में हथियार और विस्फोटक छिपा रखे हैं। इसके बाद पलामू एसपी रीष्मा रमेशन के आदेश पर अभियान चलाया गया।

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ऑपरेशन की प्रमुख विशेषताएं:

स्थान: झारखंड-बिहार सीमा, छकरबंधा जंगल

सुरक्षा बल: CRPF, STF, झारखंड जगुआर, राज्य पुलिस बल

बरामद सामग्री: 5 IED बम

आरोपी: माओवादी नितेश यादव और उसके सहयोगी

ऑपरेशन के दौरान जंगल क्षेत्र को पूरी तरह घेर कर तलाशी ली गई। एक पेशेवर तरीके से बम को निष्क्रिय किया गया जिससे कोई हानि नहीं हुई।


माओवादियों के लिए क्यों खास था यह इलाका?

पलामू और औरंगाबाद की सीमा पर स्थित छकरबंधा जंगल लंबे समय से माओवादी गतिविधियों का केंद्र रहा है। यहां का दुर्गम भूगोल, जंगलों की सघनता और सीमावर्ती इलाका होने के कारण उग्रवादियों के लिए यह रणनीतिक रूप से आदर्श जगह बन चुकी थी।

क्या कहती है पुलिस?

एएसपी राकेश कुमार सिंह के अनुसार इस इलाके में माओवादियों की पकड़ कमजोर करने के लिए हम लगातार कार्रवाई कर रहे हैं। बरामद IED बम उनके भविष्य के किसी बड़े हमले का हिस्सा हो सकते थे।"

राज्य सरकारों और सुरक्षा बलों के लिए अहम संकेत

इस ऑपरेशन से एक बार फिर स्पष्ट हो गया है कि नक्सलवाद का खतरा पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है, बल्कि यह अभी भी कुछ इलाकों में छिपे रूप में मौजूद है। इस तरह के अभियानों से पुलिस ने माओवादियों को एक मजबूत संदेश दिया है कि अब उन्हें सुरक्षित पनाहगाहें नहीं मिलेंगी।