Bihar News : बांका के सरकारी अस्पताल में बच्चे की अदला बदली पर भड़के परिजन, जमकर काटा बवाल, बाल संरक्षण इकाई की टीम ने सुलझाया मामला

BANKA : बांका के अमरपुर रेफरल अस्पताल गुरुवार को एक गंभीर विवाद का केंद्र बन गया, जब दो नवजात शिशुओं की अदला-बदली को लेकर दो परिवारों के बीच जमकर हाई वोल्टेज ड्रामा हुआ। घटना के चलते अस्पताल परिसर में पूरे दिन अफरा-तफरी का माहौल बना रहा। अंततः जिला बाल संरक्षण इकाई की टीम ने मौके पर पहुंचकर मामले को सुलझाया और बच्चों को उनके वास्तविक माता-पिता को सौंपा गया। प्राप्त जानकारी के अनुसार, मकदूम्मा निवासी मोनिका कुमारी को बुधवार को प्रसव पीड़ा होने पर गांव की आशा कार्यकर्ता के सहयोग से अमरपुर रेफरल अस्पताल लाया गया था, जहां उन्होंने एक पुत्र को जन्म दिया। उसी दिन बेड संख्या तीन पर आनंदीपुर निवासी शबनम कुमारी ने भी एक बच्ची को जन्म दिया। गुरुवार को मोनिका की सास सुलेखा देवी और अन्य परिजनों ने आरोप लगाया कि उनकी पुत्रवधू को जो बच्चा सौंपा गया है, वह उनका नहीं है। उन्हें आशा रति देवी से यह जानकारी मिली कि नवजातों की अदला-बदली हुई है। इस पर जब परिजनों ने अपनी बहू मोनिका से बात की तो उसने किसी भी फेरबदल से इनकार कर दिया। स्थिति तब और संदिग्ध हो गई जब यह पाया गया कि आनंदीपुर की प्रसूता शबनम कुमारी बिना डिस्चार्ज कराए ही अस्पताल से गायब हो गयी।
परिजनों ने जब अस्पताल के प्रसव रजिस्टर की जांच की, तो उसमें मोनिका कुमारी को पुत्र जन्म की पुष्टि हुई। इससे आक्रोशित परिजनों ने अस्पताल परिसर में जमकर हंगामा किया और दोषियों पर कार्रवाई की मांग करने लगे। मामले की गंभीरता को देखते हुए रेफरल अस्पताल के प्रभारी डॉ. सुनील चौधरी ने शबनम कुमारी के पति को तत्काल अस्पताल बुलाया, लेकिन काफी समय बीत जाने के बाद भी वह नहीं पहुंचा। इसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने एंबुलेंस भेजकर शबनम कुमारी को उसके मायके भरको से बच्चे सहित अस्पताल लाया गया। यहां शबनम के परिजनों ने बच्चा सौंपने से इनकार कर दिया, जिसके बाद दोनों परिवारों के बीच कहासुनी और बच्चों को लेकर छीना-झपटी की स्थिति उत्पन्न हो गई। स्थिति को बिगड़ते देख अस्पताल प्रभारी ने दोनों नवजात शिशुओं को सुरक्षित शिशु वार्ड में भर्ती कराया और मामले की सूचना जिला प्रशासन को दी। तत्पश्चात जिला से बाल संरक्षण इकाई की टीम अस्पताल पहुंची , जिसमें केस वर्कर अनिका कुमारी एवं कौशल कुमार शामिल थे। दोनों प्रसूताओं से एकांत में गहन पूछताछ की। जांच के बाद सच्चाई सामने आई कि नवजातों की अदला-बदली वाकई में हुई थी।
पूरी कानूनी प्रक्रिया और कागजी कार्रवाई के पश्चात दोनों नवजातों को उनके ओरिजनल माता-पिता को सौंप दिया गया। बाल संरक्षण इकाई की टीम ने सभी पक्षों से संयम बरतने और आगे से इस तरह की स्थिति न उत्पन्न हो, इसके लिए अस्पताल प्रबंधन को सख्त दिशा-निर्देश देने की बात कही है। इस घटना ने अस्पताल प्रशासन की लापरवाही पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। प्रसव के बाद शिशुओं की पहचान सुनिश्चित करने की व्यवस्था लचर साबित हुई है। न तो बच्चों को पहचान के लिए टैग लगाए गए और न ही डिस्चार्ज प्रक्रिया का पालन किया गया।
बांका से चंद्रशेखर कुमार भगत की रिपोर्ट