Bihar BJP minister Surendra Mehta: मंत्री जी ने गर्मी में कराया ठंडे का एहसास! 40 डिग्री की भीषण तापमान में गरीबों के बीच बांट दिए कंबल, BJP मिनिस्टर का अजीबो-गरीब काम
बिहार के मंत्री सुरेन्द्र मेहता ने 40 डिग्री की गर्मी में कंबल बांटकर सभी को चौंका दिया। यह कार्यक्रम भाजपा के स्थापना दिवस पर आयोजित हुआ, लेकिन सोशल मीडिया पर लोगों ने सवाल उठाने शुरू कर दिए।

Begusarai kambal controversy: बिहार के बेगूसराय जिले के बछवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में एक ऐसा राजनीतिक दृश्य सामने आया जिसने हर किसी को चौंका दिया। राज्य के खेल मंत्री सुरेन्द्र मेहता, जो भाजपा के विधायक भी हैं। उन्होंने 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान में रविवार (6 अप्रैल) को आयोजित एक विशेष कार्यक्रम के दौरान 700 से ज्यादा लोगों को कंबल बांटे।
यह आयोजन भाजपा के 40वें स्थापना दिवस के अवसर पर किया गया था और इसका स्थान था मंसूरचक प्रखंड का अहियापुर गांव।हालांकि यह कार्यक्रम किसी भी राजनीतिक दल की समाजसेवा को उजागर करता प्रतीत हो सकता है, लेकिन जैसे ही इस कार्यक्रम की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुईं, जनता की प्रतिक्रियाएं तीखी और आलोचनात्मक रहीं।
सोशल मीडिया पर उठे तीखे सवाल
मंत्री सुरेन्द्र मेहता ने अपने आधिकारिक फेसबुक अकाउंट से इस कार्यक्रम की करीब 10 तस्वीरें शेयर कीं। उन्होंने कैप्शन में लिखा कि अंत्योदय एवं राष्ट्र निर्माण की भावना से कार्य करने वाली दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा के 40वें स्थापना दिवस पर अंग वस्त्र वितरण कर सम्मानित किया गया। जय भाजपा, भारत माता की जय।"लेकिन इन तस्वीरों में साफ दिखाई दे रहा है कि भीषण गर्मी में ग्रामीण, महिलाएं और बच्चे कतार में खड़े हैं और उन्हें कंबल दिए जा रहे हैं। यह दृश्य लोगों को 'समय और जरूरत के विपरीत' लगा।
राजनीतिक संदेश या प्रचार?
इस तरह की घटनाएं जब सामने आती हैं तो सवाल सिर्फ कंबल या समय पर नहीं होता, बल्कि राजनीतिक सोच और नीयत पर होता है।स्थापना दिवस पर कार्यक्रम करना गलत नहीं है, लेकिन उस कार्यक्रम की प्रासंगिकता और जरूरत भी उतनी ही ज़रूरी होती है।जनता को उपहार देना राजनीतिक परंपरा रही है, लेकिन उसे समय, मौसम और जरूरत के आधार पर मापा जाता है।इस घटना से यह धारणा बन सकती है कि यह सिर्फ राजनीतिक दिखावा था, न कि वास्तविक समाजसेवा।
क्या यह चुनावी रणनीति है?
2025 में बिहार विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या ऐसे कार्यक्रम भाजपा द्वारा वोट बैंक को प्रभावित करने की रणनीति का हिस्सा हैं?भले ही भाजपा इसे स्थापना दिवस पर जनसेवा का उदाहरण कहे, लेकिन सोशल मीडिया पर जो प्रतिक्रियाएं आई हैं, उनसे साफ है कि जनता इसे एक "चुनावी स्टंट" मान रही है।