ऐसे कैसे मिलेगा बढ़ेगा पर्यटन को बढ़ावा, जंगली जानवरों की रक्षा में लगे वाल्मिकी टाइगर रिजर्व के 500 कर्मियों को छह माह से वेतन नहीं, मुश्किल में परिवार

वीटीआर(वाल्मीकि टाइगर रिजर्व) के सभी वन क्षेत्रों में तैनात करीब पांच सौ दैनिक मजदूरों को पिछले छह माह से वेतन नहीं मिल पाया है। वेतन के अभाव में ये दैनिक मजदूर अब कर्ज में डूबने लगे है।

ऐसे कैसे मिलेगा बढ़ेगा पर्यटन को बढ़ावा, जंगली जानवरों की रक

Bagaha - बिहार की शान कहे जाने वाले वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (VTR) की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाले लगभग 500 दैनिक मजदूरों के सामने खुद की सुरक्षा का संकट खड़ा हो गया है। जंगल और जंगली जानवरों की दिन-रात निगहबानी करने वाले ये 'टाइगर ट्रैकर्स' और गश्ती दल पिछले छह महीनों से वेतन के लिए तरस रहे हैं। आलम यह है कि वेतन के अभाव में ये मजदूर कर्ज के दलदल में फंस चुके हैं और अब भुखमरी की कगार पर हैं।

दुकानदारों ने मोड़ा मुंह, उधारी मिलना भी हुआ बंद 

वीटीआर के अलग-अलग वन क्षेत्रों में तैनात इन मजदूरों को मनरेगा की तर्ज पर दैनिक मजदूरी मिलती है। पिछले छह माह से वेतन न मिलने के कारण इनका घर चलाना मुश्किल हो गया है। अब तक ये मजदूर स्थानीय दुकानदारों से चावल-दाल और आटा उधार लेकर काम चला रहे थे। बच्चों और परिजनों की बीमारी में इलाज के लिए भी कर्ज लिया गया। लेकिन अब लंबी उधारी और पुराना बकाया न चुका पाने के कारण दुकानदारों ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं और राशन देने में आनाकानी शुरू कर दी है।

फीस के लाले, ठंड में ठिठुर रहे बच्चे 

आर्थिक तंगी का सबसे बुरा असर इन मजदूरों के बच्चों पर पड़ा है। पैसों की कमी के कारण कई बच्चों की स्कूल फीस समय पर जमा नहीं हो पा रही है। वहीं, कड़ाके की ठंड शुरू हो चुकी है, लेकिन जेब खाली होने के कारण मजदूर अपने बच्चों के लिए गर्म कपड़े (स्वेटर-जैकेट) तक नहीं खरीद पा रहे हैं। देश के लिए बाघों को बचाने वाले ये प्रहरी आज अपने ही परिवार को मूलभूत सुविधाएं देने में असमर्थ महसूस कर रहे हैं।

क्या कहते हैं अधिकारी? इस गंभीर समस्या पर मदनपुर वन क्षेत्र पदाधिकारी नसीम अंसारी ने बताया कि वेतन भुगतान की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। उन्होंने कहा, "वरीय अधिकारियों का आदेश प्राप्त हो चुका है। इस सप्ताह के अंदर सभी टाइगर ट्रैकर्स (TT) और प्रोटेक्शन पार्टी (PP) के कर्मियों के बैंक खातों में बकाया वेतन की राशि भेज दी जाएगी।"