Santosh yadav Martyr: शहीद संतोष यादव की अंतिम यात्रा में लोगों को उजड़ा हुजूम! वीर सपूत के बलिदान पर गांव वालों ने किया गर्व, जानें कैसी रहा आखिरी सफर
Santosh yadav Martyr: जम्मू-कश्मीर के नौशेरा सेक्टर में शहीद हुए हवलदार संतोष यादव को भागलपुर में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। चार साल के बेटे ने दी मुखाग्नि, पत्नी ने शहीद के हाथों पिया पानी।

Santosh yadav News: देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए हवलदार संतोष यादव को भागलपुर स्थित उनके पैतृक गांव में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई। यह सिर्फ एक सैनिक की विदाई नहीं थी, बल्कि एक माँ की ममता, एक पत्नी का इंतज़ार और एक बेटे की मासूमियत से जुड़ा भावनात्मक सफर था।
जैसे ही उनका पार्थिव शरीर भिट्ठा गांव पहुंचा, हर आंख नम थी और हर दिल गर्व से भरा। नवगछिया जीरोमाइल से निकली अंतिम यात्रा में हजारों की भीड़ उमड़ी और रास्ते भर फूलों की बारिश होती रही। ये दृश्य सिर्फ एक गांव का नहीं, पूरे बिहार के दिल की धड़कन बन गया।
शहीद के हाथों पानी पीने की अनोखी जिद
शहीद संतोष की पत्नी साधना कुमारी का दर्द हृदय विदारक था। उन्होंने अन्न-जल त्याग दिया था और एक ही जिद ठानी थी—पति के हाथों ही पानी पियेंगी। जब शहीद का पार्थिव शरीर पहुंचा, तो परंपरा से हटकर उनकी यह भावना भी पूरी की गई—पार्थिव शरीर के हाथों से पानी पिलाया गया।
चार वर्षीय पुत्र ने दी मुखाग्नि
देश की रक्षा में बलिदान देने वाले संतोष यादव को अंतिम विदाई उनके चार साल के बेटे लक्ष्य कुमार ने दी। मुखाग्नि देने के क्षण में वहां मौजूद हर शख्स भावुक था। यह क्षण जितना दुःखद था, उतना ही प्रेरणादायक भी। वह छोटा बच्चा आज एक बहुत बड़ी विरासत को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी उठाता नजर आया।
सेना का सम्मान और अंतिम सलामी
शहीद संतोष यादव को भारतीय सेना के जवानों ने पारंपरिक सम्मान देते हुए तीन राउंड फायरिंग कर अंतिम विदाई दी। सेना के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ ने कहा कि संतोष भारतीय सेना के जांबाज योद्धा थे। उन्होंने देश के लिए जान दी और हमेशा याद किए जाएंगे।
नवगछिया से भिट्ठा तक फूलों की वर्षा
संतोष यादव की अंतिम यात्रा से जुड़ा काफिवा सुबह 6 बजे नवगछिया जीरोमाइल से निकला। ये लक्ष्मीपुर रोड, नारायणपुर चंडी स्थान होते हुए गांव तक पहुंचा। हर मोड़ पर ग्रामीणों ने पुष्पवर्षा की, सेना के नारों से गूंज उठा गांव
गांववालों की श्रद्धांजलि और जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति
शहीद के अंतिम दर्शन के लिए सिर्फ परिजन ही नहीं, बल्कि जनप्रतिनिधि, समाजसेवी, गांववाले और स्कूली बच्चे भी पहुंचे। सबकी आंखों में श्रद्धा और गर्व झलक रहा था। एक ग्रामीण ने कहा कि हमारे गांव का बेटा देश के लिए श