bihar Education department - शिक्षा विभाग में कमाल हो गया, निलंबित महिला टीचर को बना दिया विशिष्ट शिक्षिका, मामले सामने आते ही हो गया हंगामा
bihar Education department - एक शिक्षिका ने निलंबन अवधि के दौरान विभाग को अंधेरे में रखकर न केवल विशिष्ट शिक्षक का पद हासिल किया, बल्कि दोहरी राशि का लाभ भी लिया। मामला उजागर होने पर विभाग ने उन्हें दोबारा निलंबित कर दिया है।
Bhagalpur - जिला शिक्षा विभाग में धोखाधड़ी और अनुशासनहीनता का एक सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। मध्य विद्यालय दुधैला (नारायणपुर) की शिक्षिका रिंकु कुमारी ने निलंबित रहते हुए विभाग को गुमराह किया और फर्जी तरीके से 'विशिष्ट शिक्षिका' बनकर कार्यभार संभाल लिया। इस गंभीर जालसाजी का खुलासा होने के बाद, विभाग ने त्वरित कार्रवाई करते हुए उन्हें फिर से निलंबित कर दिया है और उनका मुख्यालय प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय, रंगरा चौक निर्धारित किया है।
जीवन निर्वाह भत्ता और वेतन का दोहरा लाभ
जांच में यह चौंकाने वाली बात सामने आई कि शिक्षिका एक नियोजित शिक्षक के रूप में निलंबन अवधि का 'जीवन निर्वाह भत्ता' तो ले ही रही थीं, साथ ही उन्होंने विशिष्ट शिक्षक का पूर्ण वेतन भी प्राप्त किया। विभागीय नियमों को ताक पर रखकर उन्होंने स्वयं के हस्ताक्षर से प्रभारी प्रधानाध्यापिका के पद पर योगदान दे दिया। विभाग को इस संबंध में कोई सूचना नहीं दी गई, जिसे जान-बूझकर किया गया धोखाधड़ी का मामला माना गया है।
'पति चलाते थे स्कूल', फर्जी अटेंडेंस से शुरू हुआ विवाद
रिंकु कुमारी का विवादों से पुराना नाता रहा है। दिसंबर 2024 में 'कमांड एंड कंट्रोल सेंटर' पर उनके खिलाफ शिकायत दर्ज की गई थी कि वे बिना स्कूल आए फर्जी हाजिरी बनाती थीं और उनकी जगह उनके पति स्कूल का संचालन करते थे। जांच रिपोर्ट और स्पष्टीकरण संतोषजनक नहीं पाए जाने पर 28 फरवरी को उन्हें पहली बार निलंबित कर विभागीय कार्रवाई के अधीन किया गया था।
नियम विरुद्ध योगदान पर खड़े हुए सवाल
बिहार विद्यालय विशिष्ट शिक्षक नियमावली 2024 के अनुसार, किसी भी निलंबित या विभागीय कार्रवाई का सामना कर रहे शिक्षक को विशिष्ट शिक्षक के रूप में योगदान नहीं कराना है। ऐसे में यह बड़ा सवाल खड़ा हो गया है कि निलंबन के बावजूद उन्हें योगदान पत्र कैसे प्राप्त हुआ? शिक्षिका का तर्क है कि उन्हें प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय से आधिकारिक पत्र मिला था, जबकि निलंबन की सूचना केवल व्हाट्सएप पर दी गई थी।
विभागीय साख पर धब्बा और कठोर कार्रवाई
जिला शिक्षा विभाग ने इस मामले को विभाग की साख पर धब्बे के रूप में लिया है। अधिकारियों का मानना है कि यह केवल एक शिक्षिका की मनमानी नहीं, बल्कि प्रशासनिक चूक का भी परिणाम हो सकता है। फिलहाल, 'विशिष्ट शिक्षक संशोधित नियमावली' के तहत उन पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जा रही है ताकि भविष्य में कोई भी शिक्षक इस तरह विभाग की आँखों में धूल झोंकने का साहस न कर सके।