Bihar police - बिहार की पिपुल्स फ्रेंडली पुलिस, सड़क किनारे बाइक खड़े करने पर युवक की जमकर की धुनाई, लोगों ने विरोध किया तो जेल भेजने की दी धमकी

bihar police - सड़क किनारे बाइक खड़ी करने पर पुलिस ने बाइक सवार युवक की जमकर पिटाई कर दी। लोगों ने विरोध किया तो सभी को जेल भेजने की धमकी दी गई।

Bihar police - बिहार की पिपुल्स फ्रेंडली पुलिस, सड़क किनारे

Bhgalpur - यहां यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि बिहार पुलिस अक्सर अपने अमानवीय हरकतों के कारण आलोचनाओं से घिरी रहती है। हाल ही में, कुछ ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जिनसे एक बार फिर यह साबित होता है कि राज्य पुलिस का एक वर्ग अभी भी जनता के प्रति संवेदनशील नहीं है। 

सांसद राजेश वर्मा के घर के सामने की घटना

मामला बिहार के जिला भागलपुर से सामने आया है, जब  गुरुवार की संध्या एक बाइक सवार अपने ससुराल जा रहा था। इसी बीच थानाक्षेत्र के खरमनचक स्थित खगड़िया सांसद राजेश वर्मा के घर के समीप उसे कॉल आया और वह अपनी बाइक को सड़क किनारे लगा मोबाइल पर ससुराल पक्ष से कॉल पर बात करने लगे। 

थानेदार ने कहा गाड़ी हटाओ

इसी क्रम में क्षेत्रीय थाना की गश्ती वाहन भी पहुंच गयी, जिसका मोनेटरिंग खुद जोगसर थानेदार कृष्ण नंदन सिंह कर रहे थे। उन्होंने बाइक चालक को अपनी गाड़ी हटाने का निर्देश दिया तो बाइक चालक ने कहा कि वह तो अपने साइड पर सड़क से नीचे ही खड़े हैं। 

बीच सड़क करने लगे पिटाई

बस फिर क्या थानेदार ने अपनी थानेदारी दिखाई और गश्तीदल में सवार अपने हुक्मरानों को कानून के उल्लंघन की खुली छूट दे दी। फिर क्या, गश्तीदल में शामिल ड्राइवर व तमाम पुलिसकर्मियों ने अपना पुरुषार्थ भी बीच सड़क ही दिखाया और उक्त बाइक सवार को गंदी-गंदी गालियां देते हुए सड़क पर ही गिराकर लात-जूतों से पीटने लगे। 

लोगों को दी जेल भेजने की धमकी

पुलिसिया जुल्म की इस नंगी तस्वीरों को जब स्थानीय राहगीरों व परिजनों ने अपनी आंखों से देखा तो उन्होंने भी अपने विरोध के सुर तेज कर दिए और जमकर हंगामा किया। हंगामा बढ़ता देख जोगसर थानेदार ने हंगामा करते लोगों को चेतावनी भरे लहजे में कहा कि जो कोई भी पुलिस के मामले में सामने आएगा उस पर सरकारी कार्य में बाधा डालने के आरोप में कार्रवाई करते हुए जेल भेज दिया जाएगा। 

युवक को हिरासत में लेकर ले गई थाने

जिसके बाद गश्तीदल द्वारा उक्त चालक को अपनी हिरासत में ले पुलिस थाना ले गयी। करीब 15 मिनट तक बीच सड़क पर हंगामा होता रहा, जिसका सीसीटीवी फुटेज भी आस-पास लगे कैमरों में कैद होगी। 

बता दें कि पीड़ित युवक विश्वविद्यालय थानाक्षेत्र का परबत्ती निवासी अक्षय कुमार बताया जा रहा है, जो अपने भाई सुमित के साथ बाइक पर सवार हो ससुराल जा रहा था। सुमित के मुताबिक पुलिस ने बिना वजह ही उसके भाई को बीच सड़क कॉलर पकड़ा और गंदी गालियां देते हुए मारपीट करने लगी। 

वहीं भीड़ में खड़े पुलिसिया जुल्म का विरोध करने वाले कई राहगीरों ने भी क्षेत्रीय पुलिस पर मारपीट व गालियां देने का आरोप लगाया है। 

हालांकि मामले में पत्रकारों द्वारा पूछे जाने पर मौजूद थानेदार कृष्णनंदन कुमार ने मारपीट से इंकार करते हुए कहा कि उक्त युवक शराब के नशे में था। जो बाइक लेकर भागने की फिराक में था। जिसे हिरासत में लेकर थाना ले जाया जा रहा है।

पहले एनएसजी कमांडो की कर चुके हैं पिटाई 

बड़ा सवाल है कि कई बार पुलिस बिना किसी उकसावे के अनावश्यक बल का प्रयोग भी करती है, जिससे आम जनता को नुकसान पहुंचता है। जिसका जीता जागता नजीर बीते दिनों एनएसजी कमांडो शुभम है, जिसे भी इसी तरह ट्रैफिक के मामूली सा लफड़े में उलझा कर जोगसर पुलिस ने इसी जगह पर अपना पुरुषार्थ बीच सड़क प्रदर्शित किया था। और थाना ले जाकर थर्ड डिग्री यातना दे कुल आठ से नौ घंटे तक हाजत में बंद कर झूठे मुकदमे में फंसा दिया। 

चूंकि ऊपर वाले की आंखें सब कुछ देखती है। एनएसजी के साथ हुई अमानवीय व्यवहार सड़क से लेकर थाने तक कैमरों में कैद हुई और अंत में सच सामने आया तो पुलिस के वरीय अधिकारियों से ले कनीय अधिकारियों तक कि फजीहत भी हुई। आज भी एनएसजी द्वारा मामले में शामिल तमाम वर्दीधारियों के खिलाफ कोर्ट में नालसी मामला लम्बित है। 

पैसे लेकर छोड़ देते हैं अपराधियों  को 

आपको बता दें कि यह वही जोगसर थाना है, जहां बीते 6 अप्रेल को शराब के एक मामले में थानेदार कृष्णनंदन कुमार ने 7 बोतल शराब के साथ गिरफ्त में लिए गृहस्वामी को मोटी रकम ले छोड़ दिया और जब जिला के पत्रकारों ने इसकी परतें उल्टी तो थानेदार पर वरीय अधिकारी द्वारा जांच तय हो गयी। 

अब आप इसे यूं समझिये की जब तक कोई आरोपी जांच की जद में हो तो उसे तत्काल पद से मुक्त रहना पड़ता है लेकिन तमाम साक्ष्य थानेदार के खिलाफ रहने पर भी वे अपने पद पर बने रहे। तो इस दौरान जांच कितना सकारात्मक व सफल हो पाएगा ? आज इसी थानेदार द्वारा खबरों की सच्चाई दिखाने पर पत्रकारों को नोटिस थमाया जा रहा और वरीय अधिकारियों ने न सिर्फ चुप्पी साध ली है बल्कि तमाशबीन भी बने हुए हैं।

बहरहाल बात जो भी हो यहां यह कहने से गुरेज भी नहीं कि इन घटनाओं को देखते हुए बिहार पुलिस में व्यापक रूप से सुधार भी जरूरी है। साथ ही पुलिसकर्मियों को मानवाधिकारों और कानूनी प्रक्रियाओं का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। ताकि उनके कु-कार्यों के लिए उन्हें जवाबदेह ठहराया जा सके, और दुर्व्यवहार के मामलों में कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके। 

नहीं तो यूं ही पुलिस के प्रति उठने वाली भीड़ के सुर सरकारी कार्यों में बाधा डालने की धमकी तले दब जाएंगे और यूं ही पुलिस अपने पुरुषार्थ को भीड़ भरी चौराहे पर पुरजोर प्रदर्शित कर पाएंगे। अब देखना होगा कि मामले में अगर पीड़ित पक्ष ने शराबबंदी में शराब का सेवन ही किया था तो उक्त थानेदार द्वारा भीड़ के बीच उन्हे पीटने का अधिकार भारतीय संविधान के किस अधिकार ने दे दिया ?