Bihar Police: 'सुपरकॉप' थानेदार विवेक जायसवाल की वर्दी की हनक DGP ने की ढीली, किया लाइन हाजिर, अब जूते चाटने की सजा कौन देगा?

Bihar Police: 'सुपरकॉप' विवेक जायसवाल की वर्दी की हनक DGP ने की ढीली, किया लाइन हाजिर, अब जूते चाटने की सजा कौन देगा?

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थानेदार की वर्दी की हनक DGP ने की ढीली- फोटो : reporter

Bhagalpur: बिहार की पुलिस, जो अपनी 'वीरता' और 'न्यायप्रियता' के लिए जानी जाती है, एक बार फिर सुर्खियों में है। लेकिन इस बार तालियां नहीं, बल्कि ताने मिल रहे हैं। भागलपुर जिले के सुल्तानगंज थानाध्यक्ष विवेक कुमार जायसवाल, जो खुद को 'कानून का रखवाला' समझते थे, अब लाइन हाजिर कर दिए गए हैं। डीजीपी और आईजी के सख्त आदेश के बाद एसएसपी हृदयकांत ने विवेक को 'थाने की कुर्सी' से उतारकर 'लाइन की लाइन' में खड़ा कर दिया। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह कार्रवाई पीड़ितों को इंसाफ दिलाएगी, या फिर यह बस एक और 'पुलिसिया ड्रामा' है, जिसका क्लाइमेक्स पहले से लिखा हुआ है?

थानेदार की 'हनक' और पीड़िता की पुकार

मामला सुल्तानगंज थाना क्षेत्र का है, जहां एक पीड़िता ने थानाध्यक्ष विवेक जायसवाल पर संगीन आरोप लगाए। पीड़िता का कहना है कि कांड संख्या 210/21 के तहत विवेक ने विपक्षी पार्टी के समर्थक सुभाष पोद्दार के साथ मिलकर आर्थिक लाभ लिया और विपक्षी को राहत पहुंचाई। रात 12 बजे, जब लोग अपने सपनों की दुनिया में खोए होते हैं, विवेक जायसवाल ने सिपाही के साथ मिलकर एक बुजुर्ग महिला के घर की दीवार फांद दी। जब घरवालों ने इस 'रात के रणबांकुरे' की हरकत पर सवाल उठाए, तो जवाब में गाली-गलौज, दुर्व्यवहार, और हाथापाई मिली। 

पीड़िता की बुजुर्ग मां ने पूछा, “क्या मेरे पति आतंकवादी हैं? नक्सली हैं? या पाकिस्तानी एजेंट हैं, जो रात में दीवार फांदकर घर में घुसना पड़ा?” जवाब में विवेक ने जो किया, उसे सुनकर रोंगटे खड़े हो जाएंगे। उन्होंने सीसीटीवी का डीवीआर जब्त करने की धमकी दी और पीड़ित मुकेश राय को जमीन पर पटककर कहा, “मेरे जूते पर थूक और चाट!” विरोध करने पर सिपाहियों ने बंदूक के कुंदे से मुकेश की पिटाई की। जांच अधिकारी नीरज कुमार ने भी गाली-गलौज में कोई कसर नहीं छोड़ी और कहा, “सारे वैश्यों का भूमिहारी निकाल देंगे!” विवेक ने तो हद ही कर दी, बोले, “एसएसपी तुम्हारा बाप और आईजी दादा? मेरे पास ही फाइनल रिपोर्ट आएगी!”

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साजिश का खेल: जेल, धमकी, और डीवीआर का ड्रामा

पीड़िता का आरोप है कि विवेक ने साजिश रचकर मुकेश राय को बिना वारंट के रात में गिरफ्तार किया और अगले दिन जेल भेज दिया। पूर्व जांच अधिकारी ने कांड में धारा 452, 341, 323, 435, 504, और 34 लगाई थी, लेकिन विवेक के इशारे पर नीरज कुमार ने धारा 435 को 436 में बदल दिया, ताकि मामला गंभीर लगे। जेल से छूटने के बाद भी पीड़ित का पीछा नहीं छोड़ा गया। अगले ही दिन नीरज कुमार घर पहुंच गया और केस में संलिप्तता स्वीकार करने की धमकी देने लगा। पीड़िता ने डीजीपी से गुहार लगाई कि अगर ऐसे थानेदारों से न्याय मांगने जाएंगे, तो इंसाफ कैसे मिलेगा?

दिलखुश यादव कांड: थर्ड डिग्री का 'थानेदारी' खेल

विवेक जायसवाल का यह पहला कारनामा नहीं है। 9 मार्च 2025 को उन्होंने दिलखुश यादव (20) को एक संगीन मामले में गिरफ्तार किया। लेकिन जांच के नाम पर विवेक ने सुल्तानगंज थाने की बजाय अपने पुराने थाने, सबौर, को चुना। वहां दिलखुश की रातभर थर्ड डिग्री पिटाई हुई। जब हालत बिगड़ने लगी और पुलिस को लगा कि वह मर गया, तो उसे आनन-फानन में मायागंज अस्पताल में भर्ती कराया गया। सुबह 4 बजे, जब पुलिस की सांसें अटकने लगीं, विवेक ने अपने साथियों को आदेश दिया, “इसे किसी निजी नर्सिंग होम में ले जाओ, वरना हम फंस जाएंगे!” 

इसके बाद दिलखुश को गायब कर दिया गया। जब परिजनों ने हंगामा शुरू किया, तो पुलिस ने नाटक रचा कि दिलखुश इलाज के दौरान “फरार” हो गया। लेकिन मायागंज अस्पताल के सीसीटीवी ने सारी पोल खोल दी। रेंज के आईजी ने मामले को गंभीरता से लिया और 24 घंटे का अल्टीमेटम देकर दिलखुश की गिरफ्तारी का आदेश दिया। आखिरकार, पुलिस ने नवगछिया के रेफरल अस्पताल में छिपकर इलाज करा रहे दिलखुश को “पकड़” लिया। लेकिन सवाल यह है कि अगर सीसीटीवी न होता, तो क्या यह सच्चाई कभी सामने आती?

पुलिस मुख्यालय की सख्ती, लेकिन कार्रवाई अधूरी?

पुलिस मुख्यालय बार-बार सख्ती की बात करता है, लेकिन जिलों में थानेदारों की ‘हनक’ कम नहीं हो रही। सुल्तानगंज के इस मामले में डीजीपी के आदेश पर आईजी ने विवेक जायसवाल को लाइन हाजिर किया, लेकिन एसएसपी हृदयकांत ने कार्रवाई के कारणों पर चुप्पी साध रखी है। क्या यह सिर्फ दिखावटी कार्रवाई है? क्या विवेक पर और सख्त एक्शन होगा, जैसे सस्पेंशन या विभागीय जांच? या फिर यह बस एक और “लाइन हाजिर” ड्रामा है, जिसके बाद विवेक किसी और थाने की कुर्सी पर “हनक” दिखाते नजर आएंगे?

स्थानीय लोगों का तंज: “जूते चाटने वाला थानेदार अब कहां?”

भागलपुर की गलियों में विवेक जायसवाल की इस कारस्तानी की चर्चा जोरों पर है। लोग तंज कस रहे हैं, “जो थानेदार जूते चटवाने की बात करता था, अब खुद लाइन में जूते चमका रहा है!” एक स्थानीय दुकानदार ने व्यंग्य भरे लहजे में कहा, “पुलिस अगर दीवार फांदकर, गाली देकर, और जूते से पीटकर इंसाफ देगी, तो फिर गुंडों और पुलिस में फर्क क्या रहा? शायद गुंडों के पास डीवीआर जब्त करने की पावर नहीं होती!”

स्थानीय लोग कहते हैं, “अगर डीजीपी तक शिकायत न पहुंची होती, तो शायद विवेक अब भी थाने में ‘जूते चाटने’ का फरमान सुना रहे होते।” यह सवाल भी उठ रहा है कि जब रेंज के वरीय अधिकारी ऐसे पुलिसवालों को सम्मानित करते हैं, तो पीड़ितों की आवाज कौन सुनेगा?

रिपोर्ट- बालमुकुंद शर्मा