Bihar News:नगर परिषद चुनाव, कुलसुम खातून के नामांकन वापस लेने की अफवाह, पुत्र ने किया खंडन
Bihar News: नगर परिषद उपाध्यक्ष पद के लिए चल रही चुनावी जंग अब अपने निर्णायक दौर में है, और ऐसे में रविवार को सोशल मीडिया पर एक भ्रामक पोस्ट तेज़ी से वायरल हो गई...

Bihar News: नगर परिषद उपाध्यक्ष पद के लिए चल रही चुनावी जंग अब अपने निर्णायक दौर में है, और ऐसे में रविवार को सोशल मीडिया पर एक भ्रामक पोस्ट तेज़ी से वायरल हो गई, जिसमें यह दावा किया गया कि बक्सर में उपाध्यक्ष पद की प्रत्याशी कुलसुम खातून ने अपना नामांकन वापस ले लिया है। इस फर्जी ख़बर ने मतदाताओं के बीच असमंजस की स्थिति पैदा कर दी और प्रत्याशी पक्ष में भी हड़कंप मच गया।
इस अफवाह पर त्वरित और सशक्त प्रतिक्रिया देते हुए, कुलसुम खातून के पुत्र और वार्ड पार्षद शाहबाज़ अख़्तर ने तुरंत एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई। उन्होंने इस ख़बर को पूरी तरह से झूठा और निराधार बताया। शाहबाज़ अख़्तर ने साफ़ शब्दों में कहा, "कुछ असामाजिक तत्व जानबूझकर हमारे खिलाफ़ झूठी ख़बरें फैला रहे हैं ताकि जनता को भ्रमित किया जा सके। हम मज़बूती से चुनावी मैदान में डटे हुए हैं, और पीछे हटने का तो सवाल ही नहीं उठता।"
उन्होंने आगे स्पष्ट किया कि उन्हें क्षेत्र की जनता का अपार समर्थन मिल रहा है, जिससे विरोधी खेमे में खलबली मची हुई है। इसी हताशा में वे चुनावी मुकाबले में टिक नहीं पाने के कारण अफवाहों का सहारा ले रहे हैं।
प्रेस वार्ता के दौरान, शाहबाज़ अख़्तर ने ज़िला प्रशासन से भी मांग की कि ऐसे अफवाह फैलाने वाले असामाजिक तत्वों की तत्काल पहचान कर उन पर सख्त कार्रवाई की जाए। उन्होंने ज़ोर दिया कि चुनावी माहौल में शांति और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है।
स्थानीय मतदाताओं में इस अफवाह को लेकर थोड़ी देर के लिए भ्रम की स्थिति ज़रूर बनी, लेकिन शाहबाज़ अख़्तर की स्पष्टता के बाद स्थिति पूरी तरह साफ़ हो गई है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि यह झूठी ख़बर चुनावी समीकरणों को कितना प्रभावित करती है।
यह घटनाक्रम एक बार फिर यह साबित करता है कि चुनावी राजनीति में सोशल मीडिया अब एक बड़ा और शक्तिशाली हथियार बन चुका है। जहाँ एक ओर इसका उपयोग जनसमर्थन जुटाने के लिए किया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर विरोधियों द्वारा अफवाहें फैलाने और मतदाताओं को गुमराह करने का ज़रिया भी बनता जा रहा है। ऐसे में, जनता की सजगता और प्रशासन की तत्परता ही निष्पक्ष लोकतंत्र की रक्षा कर सकती है।
रिपोर्ट- संदीप वर्मा