Desk - 75 करोड़ की रंगदारी खातिर 26 दिसंबर 2015 को दरभंगा के बेनीपुर अनुमंडल के शिवराम चौक पर एसएच-88 का निर्माण करा रही कंपनी के 2 इंजीनियरों की AK-47 से भून कर नृशंस हत्याकांड में पटना हाईकोर्ट ने ठोस व पर्याप्त सबूत के अभाव में उम्रकैद की सजा पाये मुकेश पाठक समेत अन्य सभी को बरी कर दिया। इस हत्याकांड ने पहली बार बनी तत्कालीन बनी नीतीश तेजस्वी सरकार की चूले हिला कर रख दी थी। इस हत्याकांड के समय संतोष झा जेल में था,जबकि मुकेश पाठक गिरोह का संचालन कर रहा था। उस दौर में इस मामले ने खूब तूल पकड़ा था। तब IPS शिवदीप लांडे तत्कालीन एसपी एसटीएफ के नेतृत्व SIT का गठन किया गया था। बिहार पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने 11 जून 2016 को मुकेश पाठक को झारखंड के रामगढ़ से एक ट्रेन से पकड़ा था। इस गिरोह के सदस्यों के खिलाफ पूरे बिहार में रंगदारी व हत्या के 30 से भी अधिक मामले दर्ज हैं। आइए जानते है कौन है कथित तौर पर 7 सौ करोड़ की संपत्ति का मालिक बिहार का कुख्यात मुकेश पाठक। बिहार में आतंक का दूसरा नाम मुकेश पाठक है। मुकेश फिलहाल भागलपुर जेल में बंद हैं। लेकिन, उनका आतंक बिहार में कायम है।
आइए अब यह जानते हैं। कैसे बना मुकेश पाठक बिहार का कुख्यात डॉन। मूल रूप से पूर्वी चंपारण के मेहसी के सुलसाबाद का रहने वाला है। मेहसी में हत्या कर उसने जरायम की दुनिया में कदम रखा था। मुकेश अपनी पत्नी सलोनी से बहुत प्यार करता था। 3 साल की बेटी श्वेता और पतिपत्नी तीनों शांति से रह रहे थे। इसी दौरान पारिवारिक जमीन का विवाद शुरू हुआ और जब यह विवाद बढ़ा तो उस के चाचा के बेटे प्रेमनाथ पाठक और बुआ के बेटे सुशील तिवारी ने मिल कर मुकेश नाम के इस कांटे को निकाल फेंकने की योजना बनाई।
एक दिन दोनों रात को उस के घर आए और गोलियां चलाने लगे. इस में मुकेश तो बच गया, पर गर्भवती सलोनी की गोली लगने से मौत हो गई. प्रेमनाथ और सुशील ने पुलिस और मायके वालों के साथ मिल कर ऐसी साजिश रची कि दहेज उत्पीडऩ में पत्नी की हत्या के आरोप में मुकेश को ही फंसा दिया।मुकदमा चला तो 3 साल की बेटी श्वेता ने प्रेमनाथ और सुशील की ओर इशारा करते हुए कोर्ट में बयान दिया कि उस की मम्मी को पापा ने नहीं, इन दोनों अंकल ने मारा है।बेटी के बयान के बाद मुकेश निर्दोष छूट गया. श्वेता के बयान पर प्रेमनाथ और सुशील फंस गए. कुछ दिनों बाद प्रेमनाथ जमानत पर बाहर आया तो बदले की आग में जल रहे मुकेश ने 8 मई, 2003 को प्रेमनाथ की हत्या कर के जुर्म की दुनिया में कदम रख दिया। 2004 में पुलिस ने उसे पकड़ा जमानत पर बाहर आने के बाद वह संतोष झा से जा मिला। अपने गैंग को मजबूत करने के लिए संतोष को ऐसे ही साथियों की जरूरत थी। उस ने संतोष की गैंग में दूसरे नंबर की जगह पा ली।
पुलिस को उस की दर्जनों मामलों में तलाश थी। 17 जनवरी, 2012 को स्पैशल टास्क फोर्स ने उसे रांची से पकड़ कर मोतिहारी जेल भेज दिया। इस के बाद उसे शिवहर की जेल भेज दिया गया। इस से वह काफी नाराज था। पर तब उसे शायद यह पता नहीं था कि वहां उसे एक सुखद सरप्राइज मिलने वाला है।अपराध की दुनिया में आने के बाद मुकेश के दिल में दिवंगत पत्नी सलोनी की यादें कुछ धुंधली होने लगी थीं। यहां जेल में आने के बाद एक बार फिर उस के दिल में प्यार का अंकुर फूटा।
पूजा और मुकेश की जेल में हुई थी शादी
बिहार में किडनैपिंग के कारोबार में केवल पुरुष ही नहीं जुड़े थे, यह साबित करने के लिए पूजा नाम की एक सुंदर युवती भी अपनी हिम्मत से इस धंधे में आ कर बहुत कम समय में किडनैपिंग क्वीन के रूप में नाम कमा चुकी थी। पौलिटेक्निक की पढ़ाई के साथ उस ने अपना यह कारोबार शुरू किया था। पर 4 सफल औपरेशन के बाद वह पुलिस के हत्थे चढ़ गई थी। वह भी इसी जेल में थी।
जेल की ऊंचीऊंची दीवारों के बीच मुकेश और पूजा की मुलाकातों का सिलसिला बढ़ा और दोनों में प्यार हो गया। बिहार की इस जेल में ढोल और शहनाई बजी।14 अक्तूबर, 2013 को दोनों का विवाह हो गया। सभी कैदियों और पुलिस के आशीर्वाद के बीच जिले के एसपी ने पूजा का कन्यादान किया।20 जुलाई, 2015 को तबीयत खराब होने का बहाना बना कर मुकेश अस्पताल में भरती हुआ. वहां पुलिस को प्रसाद के रूप में नशे वाली मिठाई खिला कर सुला दिया और खुद अस्पताल से फरार हो गया। उस ने पुलिस को सांसत में डाल दिया।एक तो खुद फरार हो गया, दूसरी ओर पता चला कि पूजा गर्भवती है।जेल में कोई प्रेगनेंट महिला कैदी कैसे रह सकती है? जेल में मुकेश और पूजा की प्रेमलीला के चक्कर में 4 पुलिस अधिकारी भी सस्पेंड हुए।
नंबर 2 से बना नंबर एक दुश्मन
संतोष झा के गैंग में मुकेश का दूसरे नंबर पर स्थान था. रंगदारी की जो मोटी रकम आ रही थी, उस से बिहार और नेपाल में रिश्तेदारों के नाम जमीनें और मकान खरीदे जा रहे थे। उस समय मुकेश के मन में एक बात खटकती थी कि उस की चालाकी और मेहनत का जो लाभ उसे मिलना चाहिए, वह उसे नहीं मिल रहा है।दोनों के बीच दुश्मनी कैसे हुई, इस की सही वजह आज तक सामने नहीं आई। संतोष की गैंग की एक शरणस्थली नेपाल में भी थी।नेपाल का कारोबार राजा उर्फ सौरभ कुमार संभालता था। जानकर कहते हैं कि गैंग में एक अहम स्थान रखने के बावजूद मुकेश को वह आमदनी नहीं हो पाती थी, जिसकी उसे अपेक्षा थी।जेल में आने के बाद मुकेश पाठक को पता चला कि गैंग के किसी भी सदस्य को बताए बगैर संतोष ने कंस्ट्रक्शन कंपनी से 35 करोड़ रुपए ले लिए थे।दगाबाजी के इस मुद्दे पर मुकेश का अपने गुरु संतोष से झगड़ा हुआ और उसी समय मुकेश ने तय कर लिया कि अब ऐसे गुरु को रास्ते से हटाना ही पड़ेगा। साजिशे रची गई और फिर
गुरु की हत्या का आरोप
संतोष झा की हत्या 28 अगस्त 2018 को उस समय कर दी गई थी जब उसे सीतामढ़ी कोर्ट में पेशी के लिए लाया गया था। इस दिन संतोष के साथ उसका सबसे भरोसेमंद शूटर विकास झा उर्फ कलिया भी पेशी पर लाया गया था। कलिया के आंखों के सामने ही मुकेश के भेजे कुछ नाबालिग बदमाशों ने सतोष को गोलियों से भून दिया था। विकास को भी निपटाने की कोशिश हुई पर बच गया।
संतोष झा की हत्या का आरोप भी मुकेश पाठक पर लगा था। मुकेश इस समय जेल में है और उसे कड़ी सुरक्षा के बीच पेशी में लाया जाता है। मुकेश पर बिहार के अलग-अलग थानों में दर्जनों आपराधिक मामले दर्ज हैं। पिछली बार संतोष ने अपने गुरु को रास्ते से हटाया था और इस बार संतोष के चेले ने अपने गुरु को रास्ते से हटा दिया।
विकास vs मुकेश में अबतक गिरी इतनी लाशे
सीतामढ़ी कोर्ट परिसर शूटआउट के दौरान विकास की भी हत्या का प्रयास किया गया, लेकिन वह बच गया था। इसके बाद मुकेश ने पूरे गिरोह की कमान संभाल ली। अपनी हत्या के डर से विकास अपने साथियों के साथ मिलकर 19 अगस्त 2019 को पुलिस हिरासत से फरार हो गया था। उस समय पुलिस उसे स्वास्थ्य जांच के लिए लेकर जा रही थी। उसके साथियों ने पुलिस पार्टी की आंखों में मिर्च पाउडर झोंक दिया था और उसे पुलिस हिरासत से लेकर फरार हो गए थे। तभी से विकास दिल्ली में आकर छिपकर रह रहा था। लेकिन अक्तूबर 2019 में बिहार एसटीएफ ने धर दबोचा और तब से जेल में कैद विकास ने संतोष झा गैंग की कमान सम्भाल रखी है। विकास झा उर्फ कालिया के गैंग से मुकेश पाठक गैंग की खूनी अदावत चल रही है। दोनों गैंग के शूटर अक्सर आपस भिड़ते रहते हैं। कई हत्याएं हो चुकी हैं।
कुलदीप भारद्वाज की रिपोर्ट