SSC EXAM: फर्जी में फर्जीवाड़े का खेल,35 अभ्यर्थियों में FIR करवाने वाला प्रोफेसर भी निकला फर्जी,पुलिस भी हैरान..

कॉलेज और विश्वविद्यालय के रिकॉर्ड में गड़बड़ी पाई गई थी। 1984 में सुरेश यादव की अस्थायी नियुक्ति हुई थी, लेकिन 2006 के बाद कॉलेज ने उनसे किसी प्रकार की सेवा नहीं ली।

SSC EXAM: फर्जी में फर्जीवाड़े का खेल,35 अभ्यर्थियों में FIR
SSC EXAM फर्जी में फर्जीवाड़े का खेल- फोटो : freepik

SSC EXAM: पूर्णिया में आयोजित एसएससी की एमटीएस परीक्षा में फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। इस मामले में 35 अभ्यर्थियों को गिरफ्तार किया गया, लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस पूरे मामले की एफआईआर दर्ज कराने वाला को-ऑर्डिनेटर सुरेश प्रसाद यादव खुद फर्जी निकला।

सुरेश प्रसाद यादव का दावा

सुरेश प्रसाद यादव ने खुद को आरएल कॉलेज माधवनगर का समाजशास्त्र का प्रोफेसर बताया। परीक्षा केंद्र का को-ऑर्डिनेटर होने का दावा किया। कहा कि वह पूर्णिया विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग में कार्यरत है। हालांकि,कॉलेज के रिकॉर्ड में सुरेश यादव का नाम नहीं मिला।स्टाफ ने उसे पहचानने से इनकार किया। उसकी नियुक्ति, उपस्थिति, और सैलरी से संबंधित कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं।

जांच में खुलासा

कॉलेज और विश्वविद्यालय के रिकॉर्ड में गड़बड़ी पाई गई थी। 1984 में सुरेश यादव की अस्थायी नियुक्ति हुई थी, लेकिन 2006 के बाद कॉलेज ने उनसे किसी प्रकार की सेवा नहीं ली। 2021 तक उसने पूर्णिया विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग में काम किया। यह स्पष्ट नहीं है कि वह 2006 से 2021 तक विश्वविद्यालय में कैसे काम करता रहा। सुरेश यादव ने अपनी सैलरी स्लिप और अन्य वैध दस्तावेज उपलब्ध कराने में असमर्थता जताई।

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प्रिंसिपल और कुलपति का बयान

आरएल कॉलेज के प्रिंसिपल कमाल खान ने सुरेश यादव को फर्जी करार दिया।पूर्णिया विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. पवन कुमार झा ने बताया कि 2021 तक सुरेश ने परीक्षा विभाग में काम किया, लेकिन अब वह संदेह के घेरे में है।

पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई

पुलिस अब सुरेश यादव की तलाश कर रही है, लेकिन वह गायब है।इस मामले में पूर्णिया यूनिवर्सिटी और परीक्षा विभाग की भूमिका की भी जांच की जाएगी। यह मामला न केवल SSC परीक्षा में फर्जीवाड़े को उजागर करता है, बल्कि शिक्षा प्रणाली में गहरी गड़बड़ियों की ओर भी इशारा करता है। सुरेश यादव का फर्जीवाड़ा, विश्वविद्यालय और परीक्षा विभाग की अनियमितता, और प्रशासनिक चूक जांच के गंभीर विषय हैं।