बिहार में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव आयोजित होने वाले हैं। राज्य में राजनीतिक गतिविधियाँ अब से ही तेज़ी पकड़ने लगी हैं। सभी प्रमुख राजनीतिक दल, जैसे कि भारतीय जनता पार्टी), जनता दल यूनाइटेड और राष्ट्रीय जनता दल अपने संगठन को मजबूत करने में जुटे हुए हैं। वहीं कांग्रेस भी संगठन को मजबूत बनाने में लगी है।
कांग्रेस के पास न तो नेताओं की कमी है और न ही कार्यकर्ताओं की। गठबंधन में शामिल होने के बाद कांग्रेस की स्थिति कमजोर हुई है। कांग्रेस के जनरल सेक्रेटरी और कटिहार प्रभारी डॉक्टर इरशाद अहमद खान ने कहा कि राहुल गांधी 18 जनवरी को संविधान बचाओ यात्रा के सिलसिले में पटना आ रहे हैं। इस यात्रा को सफल बनाने के लिए जिला स्तर के कार्यकर्ताओं ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है, और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता इस विषय पर लगातार बैठकें कर रहे हैं। इसी संदर्भ में कटिहार में आयोजित एक बैठक में कांग्रेस के जनरल सेक्रेटरी और कटिहार प्रभारी डॉक्टर इरशाद अहमद खान ने यह जानकारी दी।
बता दें कांग्रेस पार्टी का प्रभाव बिहार की राजनीति में इतना गहरा रहा है कि स्वतंत्रता के बाद से 1990 तक कुछ वर्षों को छोड़कर, इस पार्टी ने राज्य में सबसे अधिक मुख्यमंत्री प्रदान किए हैं। लेकिन वर्तमान स्थिति यह है कि अब कांग्रेस की उपस्थिति बिहार विधानसभा में आरजेडी, बीजेपी और जेडीयू के बाद आती है। लोकसभा में भी सांसदों की संख्या के मामले में कांग्रेस की स्थिति जेडीयू, बीजेपी, एलजेपी और आरजेडी जैसी पार्टियों के बाद है। बहरहार बिहार में कांग्रस को धारदार देने के लिए प्रदेश अद्यक्ष के नेतृत्व में कवायद जारी है।