Bihar Education - नीतीश कुमार के 20 साल के विकास मॉडल को मुंह चिढ़ा रहा है स्कूल, दो दशक से पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं छात्र
Bihar Education - नीतीश कुमार के 20 साल के शासन में एक स्कूल ऐसा भी है, जहां दो दशक से पेड़ के नीचे क्लास चल रही है। इस स्कूल को अब तक अपना भवन नहीं मिल पाया है।

Darbhanga - नीतीश कुमार के शासन को 20 साल पूरा हो गया है। इस दौरान उनकी पहचान विकास पुरूष के रूप में हुई है। लेकिन दरभंगा का सरकारी स्कूल उनके विकास मॉडल को गलत साबित कर रहा है। यह सरकारी प्राथमिक विद्यालय 20 साल से बिना भवन के चल रहा है। शिक्षा व्यवस्था की दयनीय स्थिति को एक बार फिर राज्य सरकार और शिक्षा विभाग की नीतियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
हनुमाननगर प्रखंड के गोदियारी गांव में प्राथमिक विद्यालय लीवाटोल की यह कहानी न केवल शिक्षा व्यवस्था की बदहाली का उदाहरण है, बल्कि यह बच्चों के भविष्य के साथ हो रहे खिलवाड़ की गंभीर स्थिति को भी उजागर करती है। यह स्कूल खुले आसमान के नीचे संचालित होता है। यहाँ न तो क्लासरूम है, न ही ब्लैकबोर्ड और न ही बेंच। बच्चे पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ाई करते हैं।
ब्लैकबोर्ड के लिए विशाल पीपल के पेड़ के चारों ओर सीमेंट के चबूतरे पर कोटिंग की गई है।स्कूल में बारी बारी से एक से लेकर पांच क्लास तक को शिक्षक पढ़ाते हैं। स्कूल में कुल छ शिक्षक है जिसमें चार बीपीएससी से चयनित शिक्षक एंव दो नियोजित शिक्षक है।
राजद के कार्यकाल में शुरू हुआ स्कूल
जानकारी के अनुसार 2003 में जब राजद कि सरकार थी तब अति पिछड़ा क्षेत्र के बच्चों को स्कूल तक लाने के लिए लोक शिक्षा केन्द्र नामक एक प्रयास कि शुरुआत कि गई थी जिसमें सरकार की सोच थी जो अति पिछड़ा के बच्चों को शिक्षित किया जाय। फिर तीन साल बाद 2006 में प्राथमिक विद्यालय में मर्ज किया गया था लेकिन शुरू से ही विद्यालय का अपना भवन नहीं रहा।
2006 से मिल रहा केवल आश्वासन
वहीं स्कूल के प्रधानाचार्य ने 2006 से कई बार सरकार एंव जिल प्रशासन से इमारत के लिए गुहार लगाई है, लेकिन उन्हें केवल आश्वासन मिला है। ग्रामीणों ने 2016 में सरकारी जमीन उपलब्ध कराने के लिए लोक शिकायत भी दर्ज कराई थी।
समाज कल्याण मंत्री का इलाका
हाल ही में 19.05.2025 को प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ने अंचल पदाधिकारी को भूमि उपलब्ध कराने के लिए पत्र लिखा है। यह इलाका जेडीयू विधायक और बिहार सरकार में समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी का है। इस स्कूल की हालत शिक्षा व्यवस्था की तस्वीर दिखाती है। "यहाँ किताबें खुलती है लेकिन छत नहीं। बच्चे पढ़ते हैं, बारिश हो तो घर भागो"
बारिश में नहीं होती पढ़ाई, क्या कहते हैं छात्र
वहीं स्कूल कि पांचवी की छात्रा अंजली कुमारी ने बताई की जब बारिश आती है तो घर जाना पड़ता है या फिर तेज घूप रहती है तो छाप में बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर है हम लोगो की भी इच्छा है कि स्कूल का अपना भवन हो जहाँ हम लोग बैंच डैस्क पर बैठकर पढ़ाई करें। कुछ दिन पहले की बात है जब हम लोग बैठकर पढ़ रहे थे तभी मेरी सहेली के ऊपर पेड॒ से डाली टूट कर गिर गया थाय़ खतरा बना रहता है लेकिन करेंगे क्या हम लोग सरकार से मांग करते हैं कि जल्द से जल्द भवन बन जाय जिसमें अच्छी से पढ़ाई कर पायें .
वहीं स्कूल की छात्रा रानी कुमारी ने कहा कि हमलोग जब से स्कूल में पढ़ाई करने आयें है तो पेड़ के नीचे जमीन पर बैठकर ही पढ़ाई कियें हम लोगो कि इच्छा है कि स्कूल का अपना भवन हो जहाँ हम लोग अच्छा से पढ़ाई कर सकें।
मुखिया ने जताया दुख
वहीं पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि सुरेश प्रसाद सिंह ने इस संबंध में जानकारी देते हुये कहा कि दुख कि है जो पेड़ के नीचे विद्यालय चल रहा है यह नहीं होना चाहिए था लेकिन अब जमीन उपलब्ध हो रहा है विभागीय प्रक्रिया चल रही है। सरकार से अब बस यहीं मांग है जो जल्द से जल्द फंड मुहैया कर दे जो स्कूल का भवन बन जाय।
दो बार मिला फंड
वहीं जिला शिक्षा प्राधिकारी कृष्णनंनद सदा ने कहा की आप लोगो के माध्यम से जानकारी प्राप्त हुई है दरअसल स्कूल निर्माण के लिए दो बार फंड जा चुका है लेकिन किसी कारण बस नहीं बन सका है जल्द ही समुचित व्यवस्था कि जायेंगी।।
Report - varun thakur