Burning Train:कोलकाता-जम्मू तवी एक्सप्रेस में लगी आग, बाल-बाल बचे यात्री, वंदे भारत को पास कराने के दौरान लगी आग
Burning Train:कोडरमा-गया रेलखंड पर एक बड़ा हादसा टल गया, जब कोलकाता-जम्मू तवी एक्सप्रेस के स्लीपर कोच के पहिए में अचानक आग लग गई। ...

Burning Train:कोडरमा-गया रेलखंड पर एक बड़ा हादसा टल गया, जब कोलकाता-जम्मू तवी एक्सप्रेस के स्लीपर कोच के पहिए में अचानक आग लग गई। यह घटना पहाड़पुर और टनकुप्पा स्टेशन के बीच हुई, जिससे यात्रियों में हड़कंप मच गया। रेल प्रशासन के अनुसार, आग लगने का कारण ब्रेक बेंडिंग था, जिससे पहिए में घर्षण के कारण लपटें उठने लगीं।
वंदे भारत को पास कराने के दौरान लगी आग
जानकारी के मुताबिक, यह घटना तब हुई जब कोलकाता-जम्मू तवी एक्सप्रेस को वंदे भारत एक्सप्रेस को पास कराने के लिए टनकुप्पा स्टेशन की अप लूप लाइन पर रोका गया था। ट्रेन के रुकते ही स्लीपर कोच के पहिए से आग की लपटें निकलती दिखाई दीं।
रेलकर्मियों की तत्परता ने टाला बड़ा हादसा
आग की जानकारी मिलते ही टनकुप्पा स्टेशन प्रबंधक लाल बहादुर पासवान और अन्य रेलकर्मी तुरंत हरकत में आ गए। उन्होंने स्टेशन पर मौजूद अग्निशमन उपकरणों का इस्तेमाल कर आग पर काबू पा लिया, जिससे एक बड़ा हादसा टल गया। रेल प्रशासन ने आग पर नियंत्रण पाने के बाद ट्रेन की तकनीकी जांच की और यह सुनिश्चित किया कि ट्रेन आगे की यात्रा के लिए पूरी तरह सुरक्षित है। जांच में पुष्टि हुई कि आग का कारण ब्रेक सिस्टम में घर्षण था।
यात्रियों में फैली बेचैनी और अफरा-तफरी
आग की लपटें देखकर यात्रियों में डर और अफरा-तफरी का माहौल बन गया। कई यात्रियों ने घबराहट में ट्रेन से उतरने की कोशिश की, जबकि कुछ ने अपने परिजनों को फोन कर स्थिति की जानकारी दी। इस घटना के कारण ट्रेन को लगभग एक घंटे तक टनकुप्पा स्टेशन पर रोकना पड़ा, जिससे यात्रियों को असुविधा का सामना करना पड़ा। हालांकि, रेल प्रशासन ने यात्रियों को शांत रहने और सहयोग करने की अपील कर स्थिति को संभाला।
रेलवे ने शुरू की जांच, सुरक्षा मानकों पर उठे सवाल
टनकुप्पा स्टेशन मास्टर राहुल रंजन ने बताया कि रेल प्रशासन ने इस घटना की विस्तृत जांच शुरू कर दी है। भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ब्रेक सिस्टम की नियमित जांच और रखरखाव को और सख्त किया जाएगा। हालांकि, इस घटना ने एक बार फिर रेलवे के रखरखाव और सुरक्षा मानकों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या रेलवे इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए पर्याप्त कदम उठा रहा है, या फिर यात्रियों की सुरक्षा अभी भी जोखिम में है?