Bihar Politics:‘माउंटेन मैन’दशरथ मांझी के बेटे को मिल सकता है कांग्रेस का टिकट, भागीरथ मांझी बोधगया से ठोकेंगे दावेदारी, राहुल गांधी ने दिया भरोसा, जीतन राम मांझी का बढ़ गया टेंशन!
Bihar Politics: विधानसभा चुनाव की आहट के बीच ‘पर्वत पुरुष’ दशरथ मांझी के बेटे भागीरथ मांझी ने सियासी मैदान में उतरने का ऐलान कर दिया है

Bihar Politics:बिहार की सियासत में इस बार नारे नहीं, नस्लों की विरासत गूंज रही है। विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और हर दल, हर गठबंधन में सीट के दावेदारों की कतार लंबी होती जा रही है। लेकिन इन चेहरों के बीच एक नाम ऐसा है, जो सिर्फ राजनीतिक नहीं, प्रतीकात्मक भी है ‘पर्वत पुरुष दशरथ मांझी’ के पुत्र भागीरथ मांझी।भागीरथ कांग्रेस के टिकट पर बोधगया विधानसभा सीट से किस्मत आजमाना चाहते हैं, और दावा कर रहे हैं कि उन्हें खुद राहुल गांधी ने आश्वासन दिया है।
भागीरथ मांझी कहते हैं कि जब पिछले महीने राहुल गांधी बिहार दौरे पर आए थे और गया-राजगीर में जनता से संवाद कर रहे थे, तब उन्होंने हमारे घर आकर मुलाकात की थी। “हमारे परिवार ने उनका पारंपरिक तरीके से स्वागत किया। उसी समय हमने उनसे विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी। राहुल जी ने हामी भी भरी और मेरा बायोडाटा वहीं तैयार करवा दिया,” भागीरथ का दावा है।
कांग्रेस आलाकमान से हरी झंडी मिलने का इंतजार कर रहे भागीरथ मांझी ने साफ कहा कि वे चुनावी तैयारी में जुट चुके हैं। “अब सिर्फ टिकट का ऐलान बाकी है। मुझे राहुल जी की बात पर पूरा भरोसा है कि कांग्रेस मुझे बोधगया से मैदान में उतारेगी,” उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा।
भागीरथ ने इस साल ही कांग्रेस की सदस्यता ली है। इससे पहले वे नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू में थे। लेकिन अब वे जेडीयू से पूरी तरह किनारा कर चुके हैं। हालांकि उन्होंने नीतीश कुमार पर सीधा हमला नहीं किया, मगर चुभने वाली बात जरूर कह दी कि “मुख्यमंत्री ने पिताजी को सिर्फ दिखावे के लिए अपनी कुर्सी पर बैठा दिया था। सम्मान मिला, लेकिन परिवार को साथ नहीं मिला। हम नाराज नहीं, लेकिन दुःखी ज़रूर हैं।”
राजनीतिक गलियारों में इस बात की जोरदार चर्चा है कि दशरथ मांझी की विरासत से भावनात्मक जुड़ाव रखने वाले लाखों लोग भागीरथ को सहानुभूति के साथ वोट दे सकते हैं। बोधगया सीट, जो अब तक सियासी रूप से शांत मानी जाती थी, अब अचानक सुर्खियों में है।
कांग्रेस के लिए यह एक भावनात्मक और रणनीतिक कार्ड हो सकता है, और एनडीए के लिए एक नई चुनौती भी। अब देखना है कि राहुल गांधी का किया वादा कितना असर दिखाता है और क्या ‘पर्वत पुरुष’ का बेटा वाकई सियासत की चोटी तक पहुंच पाता है?