Pitru Paksha Mela 2025: मोक्ष नगरी गयाजी में पितृपक्ष महाकुंभ, दिव्य तैयारी, शाही इंतज़ाम और हाईटेक व्यवस्था से दमकेगा मेला
Pitru Paksha Mela 2025:6 सितंबर से 21 सितंबर तक चलने वाला पितृपक्ष मेला इस बार और भी भव्य, धार्मिक और आधुनिक रंगों से सजा होगा।

Pitru Paksha Mela 2025: मोक्ष की नगरी गयाजी एक बार फिर पितरों की शांति और मुक्ति का दिव्य साक्षी बनने जा रही है। 6 सितंबर से 21 सितंबर तक चलने वाला पितृपक्ष मेला इस बार और भी भव्य, धार्मिक और आधुनिक रंगों से सजा होगा। मान्यता है कि यहाँ पिंडदान करने से पितरों की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी कारण हर वर्ष देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु गयाजी आते हैं।
3 सितंबर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद गयाजी पहुँचकर तैयारियों की समीक्षा करेंगे। प्रशासन दावा कर रहा है कि इस बार की व्यवस्था न सिर्फ व्यापक होगी, बल्कि पूरी तरह हाईटेक भी।
इस बार की सबसे खास बात है सीता पथ पर प्रतिदिन लेजर लाइट शो। इसमें गयाजी का प्राचीन इतिहास, धार्मिक महत्व और पितृपक्ष मेले की महिमा को रोशनी और ध्वनि के अनोखे संगम से जीवंत किया जाएगा।
हर प्रवेश स्थल पर मेटल डिटेक्टर, बैगेज स्कैनर और चेकिंग मशीन लगाई गई है। पहली बार श्रद्धालुओं की सटीक गिनती के लिए काउंटर मशीन भी होगी। पिछले वर्ष प्रशासन ने दावा किया था कि लगभग 22 लाख श्रद्धालु पहुँचे थे, इस बार आंकड़े और स्पष्ट होंगे।
मेला क्षेत्र को 55 जोन में बांटा गया है। 64 स्थानों पर 18,000 लोगों के आवास की व्यवस्था है। साथ ही गांधी मैदान में एक भव्य टेंट सिटी बनाई जा रही है, जहाँ 2500 श्रद्धालु ठहर सकेंगे। 552 पंडा समाज के मकानों को एनओसी दी गई है, साथ ही 132 होटल और गेस्ट हाउस भी चिन्हित हैं।पहली बार ट्रैश बोट के जरिए फल्गु नदी की सफाई होगी। पूजा सामग्री से दूषित पानी को शुद्ध करने की व्यवस्था की गई है।
299 चापाकलों की मरम्मत करा दी गई है। 43 पियाऊ और 620 नलों की दुरुस्ती के साथ 20 वॉटर टैंकर और 4 वाटर एटीएम, 633 स्थायी शौचालय, 240 अस्थायी शौचालय और 131 स्नान घर बनाए गए है। तीर्थयात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए पूरा शहर एक विशाल शिविर की तरह सजाया गया है।125 डॉक्टर, 178 पैरामेडिकल स्टाफ और 70 स्वास्थ्य शिविर तैयार हैं। खाने-पीने की वस्तुओं की नियमित जांच होगी। गया के बड़े अस्पतालों में 135 बेड रिजर्व रखे गए हैं।पूरे क्षेत्र को रोशन करने के साथ-साथ ई-पिंडदान ऐप पर भी विशेष ध्यान है, जिससे डिजिटल युग में भी धार्मिक आस्था का संगम सहज हो सके।