पटना में आयुष मेडिकल एसोसिएशन, बिहार की ओर से धन्वंतरि जयंती सह साइंटिफिक सेमिनार का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. मदन गोपाल बाजपेयी ने किया। उन्होंने कहा कि आयुष चिकित्सा पद्धति में समय के साथ कई सकारात्मक बदलाव हुए हैं। अब लोग भरोसे के साथ आयुष चिकित्सा पद्धति को अपना रहे हैं, जिससे उन्हें प्रभावी इलाज मिल रहा है।
होमियोपैथी के महत्व पर जोर
लखनऊ से आए विशेषज्ञ डॉ. गौरीशंकर सिंह ने कहा कि होमियोपैथ के जनक हैनिमैन वास्तव में एलोपैथ के प्रख्यात चिकित्सक थे। उन्होंने बताया कि होमियोपैथी में रोगों का कारगर इलाज संभव है। इस अवसर पर एसोसिएशन के बिहार अध्यक्ष डॉ. बीरेंद्र नाथ मौर्य ने बिहार में आयुष चिकित्सा पद्धति की स्थिति पर चर्चा की।
रिक्त पदों पर नियुक्ति की मांग
डॉ. मौर्य ने बताया कि नेशनल हेल्थ मिशन के अंतर्गत आरबीएसके स्कीम में आयुष चिकित्सकों के लगभग 3,000 पद रिक्त हैं। उन्होंने बिहार सरकार से इन पदों पर जल्द नियुक्ति की मांग की। साथ ही, उन्होंने आयुष चिकित्सकों के लिए औषधियों की नियमित आपूर्ति और एमडी पाठ्यक्रम में अध्ययन हेतु अवकाश स्वीकृति की प्रक्रिया को सरल बनाने की आवश्यकता पर भी बल दिया।
‘आयुष दर्पण’ स्मारिका का विमोचन
कार्यक्रम के दौरान ‘आयुष दर्पण’ स्मारिका का विमोचन किया गया। इस अवसर पर आयुष चिकित्सकों को धन्वंतरि का मोमेंटो प्रदान कर सम्मानित किया गया। सेमिनार को संबोधित करने वालों में डॉ. प्रियरंजन किशोर सिंह, डॉ. जीतेंद्र नाथ मौर्य, और डॉ. सीबी सिंह शामिल थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. परवीन कुमार प्रभात ने किया। इस अवसर पर एसोसिएशन के महासचिव डॉ. सइद अनवर और कोषाध्यक्ष डॉ. अभिषेक राहुल सहित कई प्रमुख चिकित्सक उपस्थित रहे। यह सेमिनार आयुष चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने और इसमें मौजूद चुनौतियों पर चर्चा करने के लिए एक प्रभावी मंच साबित हुआ। आयुष चिकित्सा के प्रति लोगों के बढ़ते विश्वास और इसके भविष्य को मजबूत करने के लिए ऐसे प्रयास जरूरी हैं