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बंगलामुखी मंदिर : जहाँ पूजा करने से टिकारी महाराज को इंग्लैण्ड में चल रहे मुकदमे में मिली थी जीत, नवरात्र में लाखों की संख्या में आते हैं श्रद्धालु

माँ की कृपा से केस से मिलती है मुक्ति

GAYA : बिहार के गया में सनातन धर्मावलंबियों के लिए एक से बढ़कर एक धार्मिक स्थल हैं. इसी में एक प्रसिद्ध माता बगलामुखी का मंदिर है. इस देवी मंदिर में भक्त आते हैं और अपनी मनोकामना माता के दरबार में रखते हैं. माता के दरबार में विविध परेशानियों से जूझ रहे लोग आते हैं, लेकिन ज्यादातर वैसे भक्तों की संख्या भी होती है, जिन्हें कोर्ट कचहरी से निजात पानी होती है. केस मुकदमे में जीतना चाहते हैं. मान्यता है कि माता बगलामुखी के दरबार में ऐसे भक्तों को विजय मिलती है. माता बगलामुखी की महिमा टिकारी महाराज के काल से भी जुड़ी हुई है. टिकारी महाराज ने भी इस मंदिर में अनुष्ठान कराया था और फिर उन्हें इंग्लैंड में चल रहे केस में जीत हासिल हो गई थी. सैकड़ो साल पुराना यह देवी मंदिर कई तरह के चमत्कारों के लिए देशभर में प्रसिद्ध है. माता बगलामुखी के नाम से ही इस स्थान को बंग्लास्थान के नाम से जाना जाता है. कोर्ट कचहरी का चक्कर से निजात के लिए भक्त माता बगलामुखी के गया स्थित इस मंदिर में जरूर आते हैं. इसमें अधिकांश वैसे होते हैं, जो निर्दोष होते हैं, और किसी तरह से वह कोर्ट कचहरी पुलिस केस में फंस गए. ऐसे भक्त काफी तादाद में माता बगलामुखी के दरबार में अर्जी लगाने आते हैं. माता के दरबार में अर्जी लगाने वालों के बीच आस्था की कड़ी ऐसी मजबूत है, कि अब तक अपवाद को छोड़कर अधिकांश को सफलता मिली है. इन्हीं मान्यताओं के कारण गया के इस देवी मंदिर में बिहार ही नहीं, बल्कि देश भर से लोग आते हैं. यहां माता के सामने अर्जी लगाते हैं और अपनी पीड़ा रखकर माता से शत्रु को हराने की गुहार लगाते हैं. भक्तों का मानना है, कि उन्हें निश्चित तौर पर सफलता मिलती है. माता हमारी पीड़ा दुख को हर लेती है. नतीजतन कोर्ट कचहरी पुलिस केस से उन्हें निजात मिलता है.

इस मंदिर के अद्भुत चमत्कार के उदाहरण टिकारी महाराज हरिहर प्रसाद सिंह से भी रहा है. उन्हीं के जमाने से इस बगलामुखी देवी मंदिर से जो कोर्ट कचहरी का कनेक्शन और उसमें मिलने वाली सफलता की कहानी चर्चित होनी शुरू हुई, तो इस मंदिर की प्रसिद्धी बढ़ती चली गई. यहां हर दिन यज्ञ अनुष्ठान भी होता है. माता के दरबार में सालों भर भक्तों की भीड़ आती है. नवरात्र में अहले सुबह से ही भक्तों का यहां होता है और माता का दर्शन करते है. इस बगलामुखी मंदिर से टिकारी महाराज हरिहर प्रसाद सिंह की कहानी जुड़ी है. बताया जाता है, कि टिकारी महाराज हरिहर प्रसाद सिंह पर एक मुकदमा इंग्लैंड में चल रहा था. इंग्लैंड के प्रेवी काउंसिल में उनके खिलाफ मुकदमा था. भारत के प्रसिद्ध ज्योतिर्विद तांत्रिक भवानी नंद मिश्रा की सलाह के बाद टिकारी महाराज हरिहर प्रसाद सिंह ने बगलामुखी मंदिर में सहस्त्र दल स्थापित किया. 36 दिन 36 ब्राह्मण के साथ अनुष्ठान चला. महाराज हरिहर प्रसाद सिंह को उस मुकदमे में चमत्कारिक सफलता मिली. इंग्लैंड में चल रहे उस मुकदमे में टिकारी महाराज के पक्ष में फैसला आ गया था.

देश के कुछ और स्थान पर माता बगलामुखी का मंदिर है. दतिया और कांगड़ा में भी माता बगलामुखी का मंदिर है. इस तरह गया में बगलामुखी मां विराजमान हैं. गया के बगलामुखी मां के मंदिर की प्रसिद्धी देश भर में है. देश भर से यहां भक्त आते हैं. यहां तो ऐसे कई भक्त हैं, जो पिछले कई दशकों से लगातार मंदिर में माता के दर्शन के बिना नहीं रह सकते. उनकी माता के प्रति आस्था ऐसी है, कि ये रोजाना माता के दर्शन पूजन करने को आते हैं.माता बगलामुखी 10 महाविद्या की आठवीं देवी है, जिनका पूजन शत्रु का दमन करने के लिए है. पीड़ित को माता के पूजन से शक्ति प्राप्त होती है और उसे शत्रु दमन करने में सफलता मिलती है. यहां बगलामुखी मंदिर में शत्रु पर विजय पाने के लिए पूजा का बड़ा महत्व है. गया में स्थित माता बगलामुखी मंदिर में चारों नवरात्रा में पूजन यज्ञ होता है. सप्तमी, अष्टमी और नवमी के दिन यहां फरियादियों की भीड़ काफी संख्या में जुड़ती है. बगलामुखी मंदिर में माता की प्रतिमा अद्भुत है. माता की प्रतिमा शत्रु की जिह्वा खींच रही मुद्रा में है. यहां पूजन से शत्रु के खिलाफ भक्त को निश्चित तौर पर लाभ मिलता है. इसकी कई कहानियां भी चर्चित हैं. माता बगलामुखी की पूजा भगवान श्री राम ने भी की थी. लंका पर चढ़ाई के दौरान समुद्र पार करने से पहले भगवान राम ने बगलामुखी माता की पूजा की थी. इसके बाद चढ़ाई की थी. माता के दर्शन करने आई शिवानी पपोद्दार बताती है, कि माता का दर्शन कर वह सुकून अनुभव करती है. माता हर तरह के कामों में सफलता दिलाती है. यहां लोगों को नौकरी चाकरी में सफलता मिलती है. वही, कोर्ट कचहरी के समस्याओं में भी सफलता हासिल होती है. मुझे केस में फंसा दिया गया था. कई महीने जेल में रहा. छूटा तो माता की शरण में आए, तब से सुरक्षित हैं. मुकदमा खत्म हो गया. पत्नी के साथ डिवोर्स हो गया था. अब पत्नी भी साथ है और बच्चे भी हो गए. पहले संतान भी कई सालों तक नहीं हुआ था, लेकिन माता की कृपा से सब कुछ अच्छा हो रहा है. माता के आशीर्वाद से सब कुछ सामान्य हो गया है. माता के यहां जो भक्त आते हैं. वह खाली हाथ नहीं लौटते. हम सालों से माता के दरबार में आ रहे हैं. मुझे चुनाव के समय में बेबुनियाद वाले केस में फंसा दिया गया था, लेकिन मैं माता के दरबार में हमेशा आता रहा और सब केस खत्म हो गया. माता बगलामुखी की पूजा से हर तरह की मनोकामना पूर्ण होती है. कोर्ट कचहरी के मामले में जिस तरह सफलता मिली, उसका एक बड़ा उदाहरण है मैं हूं, कि यहां कोर्ट कचहरी के मामले में माता शत्रु पर विजय पाने की शक्ति भक्तों को देती हैं. माता प्रबल शत्रु नाशिनी हैं. किसी भी तरह के शत्रु का आक्रमण हो, तो उसका नाश हो जाता है. शेेरघाटी से चलकर आया हूं. व्यापार में हानि हो रही थी. भूमि विवाद के केस में फंसा दिया गया. अपराधियों ने षडयंत्र कर फंसाया  हमारे परिवार को फंसाया गया है. हम निर्दोष होते हुए भी परेशानी में है. इसी को लेकर माता बगलामुखी के इस मंदिर में उनके दर्शन और पूजन करने को आए हैं.

इस संबंध में बगलामुखी मंदिर के पुजारी सौरभ मिश्रा बताते हैं कि बांग्ला स्थान मंदिर गया के बंगलास्थान में स्थित है. यह सैंकङों वर्ष पुराना मंदिर है. टिकारी महाराज ने मंदिर का निर्माण कराया था. टिकारी महाराज हरिहर प्रसाद सिंह के खिलाफ एक मुकदमा इंग्लैंड के प्रेवी काउंसिल में चल रहा था. इसे लेकर उन्होंने भारत के प्रसिद्ध ज्योतिर्विद तांत्रिक भवानी नंद मिश्रा की सलाह ली थी. सलाह लेने पर उन्होंने बगलामुखी मंदिर में सहस्त्रदला स्थापित करने की बात कही थी. सहस्त्र दल स्थापित करने के लिए 36 दिन 36 ब्राह्मणों के साथ अनुष्ठान किया. इसका चमत्कारिक लाभ हुआ और मुकदमे का फैसला टिकारी महाराज हरिहर प्रसाद सिंह के पक्ष में आ गया. इसके बाद भव्य मंदिर यहां बनाया गया. यंत्र स्थापित हुई. बगलामुखी माता की प्रतिमा यहां है. इसके अलावे भैरव बाबा, शिव परिवार, हनुमान जी यंत्र के देवता भी यहां विराजमान हैं. यह सैकड़ो साल पुराना मंदिर है. भारत के लोगों की बड़ी आस्था यहां से जुड़ी हुई है. तंत्र संबंधी मंदिर यह है. यहां 10 महाविद्या में आठवीं देवी के रूप में बगलामुखी माता विराजमान है. इनका पूजन शत्रु का दमन करने के लिए होता है. माता सिद्धि प्रदान करती है. शत्रु पर विजय पाने के लिए पूजा से अनेक लाभ होते हैं. चारों नवरात्रि में पूजा सालों भर यहां होती है. सप्तमी अष्टमी और नवमी के दिन फरियादमों के भीड़ उमड़ती है. भक्त महसूस करते हैं, कि माता उन्हें आशीर्वाद देती है. भारत में बगलामुखी मंदिर कई स्थानों पर है. दतिया कांगड़ा में भी बगलामुखी माता का मंदिर है. गया का बगलामुखी माता का मंदिर काफी विख्यात है. माता की पूजा से मुकदमे में विजय प्राप्ति के लिए किया जाता है. मां की प्रतिमा बाएं हाथ से शत्रु की जिह्वा खींच रही मुद्रा में है. मां का ठीक से पूजन प्रार्थना किया जाए तो भक्तों को पीड़ा से मुक्ति मिलती है. परेशानियों पर विजय प्राप्त होता है. राजसता कोर्ट कचहरी में सफलता मिलती है. इन्हें पीतांबरा के नाम से भी जाना जाता है. पूर्व के समय में भगवान नारायण, नारद मुनि जी, भगवान श्री राम भी इनकी उपासक रहे. भगवान राम ने जब लंका पर चढ़ाई की थी, तो उस समय भी माता बगलामुखी की उपासना की थी. इसके बाद चढ़ाई की गई थी. 

गया से मनोज की रिपोर्ट

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