Bhojpur News: बिहार के भोजपुर जिले में पहली बार हाईटेक फूल डेप्थ रिक्लेमेशन (FDR) तकनीक का उपयोग करते हुए सड़कों का निर्माण किया जाएगा। इस प्रक्रिया के तहत अगिआंव, कोईलवर, और जगदीशपुर क्षेत्रों में सड़कों का चयन किया गया है, जो प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत ग्रामीण कार्य विभाग द्वारा बनाई जाएंगी। FDR तकनीक के जरिए सड़क निर्माण की लागत पारंपरिक अलकतरा तकनीक से कम होती है और सड़कों की मजबूती लगभग दोगुनी हो जाती है।
कैसे काम करती है FDR तकनीक?
इस तकनीक में पुरानी या क्षतिग्रस्त सड़क को उखाड़कर उसमें से निकाले गए बेकार सामग्री को सीमेंट, केमिकल, और अन्य आवश्यक पदार्थों के साथ मिलाकर नया मिश्रण तैयार किया जाता है। इसके बाद इस सामग्री का उपयोग सड़क की नई सतह बनाने में किया जाता है।
खर्च में कमी: पुरानी सड़क की सामग्रियों के पुन उपयोग से लागत घटती है।
मजबूती में वृद्धि: यह तकनीक सड़क को टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल बनाती है।
चयनित सड़कों का विवरण
भोजपुर की जिन सड़कों को FDR तकनीक से बनाया जाएगा उसमें अगिआंव-बागापुल सड़क शामिल है। इसकी लंबाई 11.97 किमी है। इसको बनाने में 11.05 करोड़ रुपये की लागत लगने वाली है। इसके 5 साल के रखरखाव को मिलाकर 14.39 करोड़ राशि स्वीकृत की गई है। इसके अलावा 35 नई पुलिया और 10 पुरानी पुलिया की मरम्मत भी की जाएगी।
कोईलवर एनएच-30 से चकिया सड़क:
लंबाई: 13.95 किमी
निर्माण लागत: ₹10.81 करोड़
रखरखाव: ₹3.23 करोड़ की स्वीकृत राशि।
पर्यावरण और संसाधन संरक्षण
FDR तकनीक में पत्थर की गिट्टी की खपत कम होती है, जिससे प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कम होता है। इसके अलावा, यह कार्बन फुटप्रिंट को कम कर प्रदूषण घटाने में भी सहायक है।
गुजरात से मंगाई जाएगी विशेष मशीनरी
FDR तकनीक के तहत काम करने के लिए रीसाइक्लर, कंप्यूटर-कंट्रोल बाइंडर, मोटर ग्रेडर, पैड फुट रोलर, वॉटर टैंकर जैसी आधुनिक मशीनों की जरूरत होगी, जिन्हें गुजरात से मंगाया जाएगा। इस तकनीक से प्रति किलोमीटर निर्माण लागत लगभग ₹75-90 लाख तक आती है, जो पारंपरिक तरीकों से कम है।
निर्माण प्रक्रिया का चरणवार विवरण
सड़क सामग्री का पुनः उपयोग: पुराने मेटेरियल को उखाड़कर साफ किया जाता है।
सतह की तैयारी: सीमेंट और चिपकने वाले केमिकल से मिश्रण तैयार कर सड़क पर डाला जाता है।
समतलीकरण: रीसाइक्लर और मोटर ग्रेडर से सतह समतल की जाती है।
पानी का छिड़काव: 7 दिनों तक सतह को पानी से सींचा जाता है।
अंतिम परत: स्ट्रेस एब्जॉर्बिंग इंटर लेयर तैयार कर, बिटुमिन कंक्रीट से अंतिम परत बिछाई जाती है।
IIT बिहटा में होगा मटेरियल का परीक्षण
सड़क निर्माण के लिए इस्तेमाल किए गए मटेरियल में सीमेंट की गुणवत्ता और मात्रा की जांच IIT बिहटा में की जाएगी। 7 और 28 दिनों के अंतराल पर परीक्षण के बाद रिपोर्ट के आधार पर सीमेंट की मात्रा तय की जाएगी।
भोजपुर में पहली बार हो रहा है प्रयोग
ग्रामीण विकास विभाग के सहायक अभियंता दानिश शमीम के अनुसार, भोजपुर जिले में FDR तकनीक का यह पहला प्रयोग है। इस तकनीक से टिकाऊ और मजबूत सड़कों का निर्माण कम लागत में संभव होगा। मटेरियल की जांच और रिपोर्ट मिलने के बाद गुजरात से मशीनें मंगाई जाएंगी।