Registration Cancelled: बिहार में चल रहे पुल निर्माण कार्यों में लापरवाही और गड़बड़ी के चलते दो ठेकेदारों की राजिस्ट्री रद्द कर दी गई है। इनमें से एक मामला खगड़िया और दूसरा पूर्णिया जिले का है। दोनों ही पुल निर्माण के प्रोजेक्ट अधूरे रह गए, जिससे जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
पूर्णिया में 10 साल से अधूरा पुल
बम्माधार पुल निर्माण
स्थान: अमौर प्रखंड, गेरूआ-कसबा मार्ग
लागत: ₹6.11 करोड़
शुरुआत: 4 मार्च 2014
समाप्ति की तय तारीख: 28 फरवरी 2015
यह पुल पिछले 10 सालों से अधूरा पड़ा है। इसे पूरा करने की जिम्मेदारी इंडियन प्रोग्रेसिव कन्सट्रक्सन, देवघर को दी गई थी। लापरवाही के कारण कंपनी को ब्लैकलिस्टेड कर दिया गया है।
पुल के फायदे:
लाखों की आबादी: दर्जनों पंचायतों के गांवों जैसे विष्णुपूर, बरबट्ठा, भवानीपुर, और बैसा प्रखंड के निवासियों को इस पुल के बनने से लाभ होगा।
महत्वपूर्ण मार्ग: यह पुल पूर्णिया और किशनगंज जिलों के बीच की दूरी को कम करेगा।
अधूरा पुल कैसे पूरा होगा?
ग्रामीण कार्य विभाग के सहायक अभियंता रविंद्रनाथ शुक्ला ने बताया:
योजना की अंतिम मापी कर रिवाइज डीपीआर (Detailed Project Report) तैयार की जा रही है।
डीपीआर की स्वीकृति के बाद पुल का निर्माण कार्य फिर से शुरू किया जाएगा।
खगड़िया में आधा पुल बनाकर ठेकेदार फरार
आनंदपुर मारन पंचायत का मामला:
स्थान: अलौली प्रखंड कोसी नदी की उपधारा
संवेदक ने साल 2019 में निर्माण सामग्री और सिक्योरिटी मनी लेकर पुल अधूरा छोड़ दिया। पुल के कुल 6 पाया में से केवल 5 पाया का काम पूरा हुआ। संवेदक पर डिबार और फिर ब्लैकलिस्टेड होने की कार्रवाई की गई। ठेकेदार की जमा सिक्योरिटी मनी जब्त कर ली गई है।
सरकार का रुख और भविष्य की योजना
बिहार सरकार अधूरे पुलों को जल्द पूरा करने की दिशा में काम कर रही है।पूर्णिया के बम्माधार पुल के लिए रिवाइज डीपीआर तैयार कर स्वीकृति की प्रतीक्षा है। खगड़िया के पुल को लेकर ठेकेदार पर सख्त कार्रवाई हुई है, और निर्माण कार्य को फिर से शुरू करने की योजना बनाई जा रही है। इन कदमों का उद्देश्य जनता को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराना और भविष्य में ऐसी लापरवाहियों पर रोक लगाना है।