Bihar News: एक तरफ जहां सरकार भूमि सर्वे को अपने प्रथमिकता की सूची में सबसे उपर रखे हुए हैं, वहीं अधिकारी हीं इसको पलीता लगाने में जुटे हुए हैं। मामला सरकार की नाक के नीचे पटना जिले का है। पिछले एक वर्ष में पटना जिले में 12,280 से अधिक भूमि दाखिल-खारिज मामलों को अंचलाधिकारियों के आदेशों के विरुद्ध डीसीएलआर कोर्ट में चुनौती दी गई है। हालांकि, डीसीएलआर कोर्ट इनमें से केवल 6,041 मामलों का ही निपटारा कर पाया है, जो कुल मामलों का मात्र 49.19% है।सबसे अधिक 2,081 लंबित मामले मसौढ़ी डीसीएलआर कोर्ट में हैं, जबकि पालीगंज में भी इनकी संख्या काफी अधिक है। डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह के निर्देश पर गठित एक समिति की जांच में यह तथ्य सामने आया है।
डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह के निर्देश पर गठित एक समिति की जांच में यह बात सामने आई है कि डीसीएलआर साल भर में मात्र 49.19 फीसदी हीं केसों का निस्तारण कर पाए हैं। जांच के अनुसार, पालीगंज डीसीएलआर कोर्ट में भी लंबित मामलों की संख्या काफी अधिक है।
एक साल में पटना जिले में भूमि संबंधी 12,280 से अधिक दाखिल-खारिज मामलों को अंचलाधिकारियों के आदेशों के विरुद्ध डीसीएलआर कोर्ट में चुनौती दी गई थी। डीसीएलआर कोर्ट इनमें से केवल 6,041 मामलों का ही निपटारा कर पाया है।
इससे पहले पटना के जिलाधिकारी (डीएम) के निर्देश पर हुई जांच में पता चला कि तत्कालीन डीसीएलआर मैत्री सिंह कार्यालय से 700 से अधिक फाइलें गायब कर चुकी थीं। बाद में उन्होंने 255 फाइलें लौटा दीं, लेकिन 451 फाइलें अभी भी लापता हैं।
जांच में यह भी पाया गया है कि डीसीएलआर कोर्ट में प्रतिमाह औसतन 300 नए मामले दायर किए जा रहे हैं। कोर्ट में लंबित मामलों का एक बड़ा कारण यह भी है कि फाइलों में निपटाए गए मामलों को राजस्व एवं भूमि विभाग के पोर्टल पर समय से अपडेट नहीं किया जा रहा है।