Bihar Land Dakhil kharij: जिले के अंचल कार्यालयों में 36.72% से अधिक दाखिल-खारिज आवेदन रिजेक्ट होने की स्थिति में संबंधित अंचलाधिकारी के खिलाफ कार्रवाई होगी। इस प्रक्रिया की जांच का जिम्मा भूमि सुधार उपसमाहर्ता (डीसीएलआर) को सौंपा गया है। सभी डीसीएलआर अधिकारियों को अपने इलाके के अंचल कार्यालयों की जांच कर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए हैं।
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के नियमों के अनुसार, अंचल कार्यालय में दाखिल-खारिज आवेदनों का 35 दिनों के भीतर निपटारा होना चाहिए। यदि मामला जटिल है, तो सुनवाई कर 75 दिनों के भीतर इसे सुलझाने का प्रावधान है। बावजूद इसके, जिले में 40,000 से अधिक मामले लंबित हैं, जिनमें से 30,000 मामले 75 दिनों से अधिक समय से पेंडिंग हैं।
डीसीएलआर को आवेदनों के निष्पादन की जिम्मेदारी
डीसीएलआर कार्यालयों में 6,200 से अधिक मामले लंबित हैं। अपर समाहर्ता (राजस्व) ने भूमि सुधार उपसमाहर्ता को इन लंबित मामलों का शीघ्र समाधान सुनिश्चित करने का कार्य सौंपा है। इससे आम जनता को बार-बार कार्यालयों का चक्कर लगाने से राहत मिलेगी।
अधिकारियों के अनुसार, बीते एक साल में लगभग 12,000 मामले डीसीएलआर कार्यालय पहुंचे हैं। इनमें सबसे अधिक मामले मसौढ़ी और दानापुर के कार्यालयों में लंबित हैं। इन क्षेत्रों में जमीन की खरीद-बिक्री अधिक होने के कारण दाखिल-खारिज और मालिकाना हक से जुड़े विवाद ज्यादा हो रहे हैं।
जांच और जिम्मेदारियों का निर्धारण
जिम्मेदारी सौंपे गए अधिकारियों:
अपर समाहर्ता (राजस्व): डीसीएलआर न्यायालय की समीक्षा।
डीसीएलआर: अंचलाधिकारी के लंबित मामलों की जांच।
अंचलाधिकारी: राजस्व कर्मचारियों के कार्यों की निगरानी।
सख्त कार्रवाई के निर्देश
जिलाधिकारी डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने निर्देश दिया कि दाखिल-खारिज आवेदनों का समयसीमा के भीतर निष्पादन सुनिश्चित किया जाए। अनुपालन में कोताही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। अपर समाहर्ता (राजस्व) को ऐसे अधिकारियों पर कार्रवाई के प्रस्ताव भेजने का निर्देश भी दिया गया है।
आवेदनों को अस्वीकृत करते समय विशेष सतर्कता बरतने की आवश्यकता पर बल दिया गया है