PATNA: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने बिहार में गंगा नदी के प्रदूषण पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। ट्रिब्यूनल ने कहा है कि राज्य में गंगा का पानी इतना प्रदूषित हो गया है कि वह अब नहाने लायक भी नहीं रहा है। इस गंभीर मुद्दे पर एनजीटी ने राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) को जमकर फटकार लगाई है और कहा है कि सिर्फ बैठकें करने और चिट्ठियां लिखने से गंगा साफ नहीं होगी, बल्कि कठोर कदम उठाने की जरूरत है।
क्या कहा एनजीटी ने?
एनजीटी ने कहा कि बिहार में गंगा में प्रतिदिन 1100 मिलियन लीटर प्रतिदिन (एमएलडी) सीवेज डाला जा रहा है, जबकि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता सिर्फ 343 एमएलडी की है। यानी 750 एमएलडी सीवेज बिना ट्रीटमेंट के सीधे गंगा में जा रहा है। एनजीटी ने एनएमसीजी पर निष्क्रियता का आरोप लगाया है। ट्रिब्यूनल ने कहा कि एनएमसीजी से उम्मीद थी कि वह इस समस्या का समाधान करेगा, लेकिन उसने ऐसा कुछ नहीं किया। एनजीटी ने बिहार के पर्यावरण विभाग के प्रधान सचिव को भी नोटिस जारी किया है और उनसे अगली सुनवाई में शपथ पत्र के माध्यम से अपना पक्ष रखने को कहा है।
अगली सुनवाई 18 मार्च को
इस मामले की अगली सुनवाई 18 मार्च, 2025 को होगी। एनजीटी ने एनएमसीजी और बिहार सरकार से इस मामले में ठोस कार्रवाई करने की उम्मीद जताई है। ट्रिब्यूनल ने कहा है कि एनएमसीजी से उम्मीद थी कि वह कठोर कदम उठाएगा, लेकिन उसके जवाब से ऐसा कुछ भी नहीं दिखता। महज चिट्ठी लिखने और बैठकें करने से गंगा साफ होने से रही। आयोग ने इस मामले में राज्य पर्यावरण विभाग के प्रधान सचिव को भी अगली सुनवाई के पूर्व शपथ-पत्र के जरिए अपना पक्ष रखने को निर्देशित किया है।
एनजीटी ने मांगा शपथ पत्र
जानकारी अनुसार राज्य के 8 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में से 6 काम नहीं कर रहे। यहीं अब इस मामले में एनजीटी ने कड़ा रुख अपना लिया है। एनजीटी ने एनएमसीजी को फटकार लगाई है। साथ ही शपथ पत्र देने को भी कहा है। मामले की अगली सुनवाई 10 मार्च 2025 यानी नए साल में होगी। एनजीटी ने कहा है कि गंगा की सफाई के लिए एनएमसीजी और बिहार सरकार को कठोर कदम उठाने होंगे।