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Bihar Teacher News: बिहार में शिक्षा का स्तर सुधारने की दिशा में बड़ा कदम, आरटीई मानकों का उल्लंघन करने वाले 433 निजी स्कूलों की मान्यता रद्द

बिहार में आरटीई मानकों का पालन न करने वाले निजी स्कूलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए उनकी संबद्धता रद्द कर दी गई है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि सभी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध हो सके।

433 निजी स्कूलों की मान्यता रद्द
433 निजी स्कूलों की मान्यता रद्द- फोटो : social Media

Bihar Teacher News: जिला शिक्षा पदाधिकारी कार्यालय ने बच्चों की मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 2009 आरटीई के मानकों का पालन न करने के कारण 433 निजी स्कूलों की संबद्धता रद्द कर दी है। यह निर्णय उन स्कूलों के लिए लिया गया है जो पिछले वर्षों में निर्धारित आरटीई मानकों को पूरा नहीं कर पाए हैं।पटना जिले में शिक्षा विभाग ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए आरटीई अधिनियम 2009 के मानकों का उल्लंघन करने वाले 433 निजी स्कूलों की मान्यता रद्द कर दी है। यह कदम राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने और बच्चों के हितों की रक्षा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

विगत वर्षों में जिले के 1816 निजी स्कूलों ने शिक्षा विभाग के इ-संबंधन पोर्टल पर आवेदन किया था। इन आवेदनों की प्रखंड स्तर पर गहन जांच की गई। जांच में पाया गया कि 433 स्कूल आरटीई अधिनियम के निर्धारित मानकों पर खरे नहीं उतरते थे। इन स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव, योग्य शिक्षकों की कमी और अन्य कई कमियां पाई गईं।

जांच के बाद 1383 स्कूलों के आवेदनों को आगे की जांच के लिए संबंधित प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों को सौंपा गया। इस जांच के आधार पर 1053 निजी स्कूलों को मान्यता प्रदान की गई है। शेष 330 स्कूलों में से 85 स्कूलों की जांच पूरी कर ली गई है और इन स्कूलों को भी मान्यता प्रदान कर दी गई है।

शिक्षा विभाग ने शेष 145 स्कूलों की जांच प्रक्रिया को 20 दिसंबर 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है। सभी मान्यता प्राप्त स्कूलों को यू-डायस पोर्टल और ज्ञानदीप पोर्टल पर आवश्यक जानकारी अपलोड करने का निर्देश दिया गया है। इस निर्णय से अन्य जिलों में भी इस तरह की कार्रवाई की जाएगी और राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा।

शिक्षा विभाग का यह कदम शिक्षा क्षेत्र में एक सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। यह निर्णय न केवल बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करेगा बल्कि राज्य के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

रिपोर्ट- विवेकानंद

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