Bihar Police Bharti: परों को खोल ज़माना उड़ान देखता है, जमीन पर बैठकर क्या आसमान देखता है" – यह पंक्तियां सारण प्रमंडल की उन बेटियों पर सटीक बैठती हैं, जो हर सुबह राजेंद्र कॉलेज के मैदान में पसीना बहा रही हैं। ये बेटियां उन लोगों के लिए प्रेरणा हैं जो सिर्फ ख्वाब देखते हैं, लेकिन उसे साकार करने के लिए मेहनत नहीं करते। सारण प्रमंडल की सैकड़ों लड़कियों ने अपने ख्वाब को सच कर दिखाया है, और अभी भी कई और अपने भविष्य की नई इबारत लिखने में जुटी हैं। उनका एकमात्र उद्देश्य है – हर हाल में नौकरी हासिल करना।
महिला सशक्तिकरण की नई मिसाल
सारण प्रमंडल की ये बेटियां महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बन चुकी हैं। उनका लक्ष्य न केवल बिहार पुलिस में भर्ती होना है, बल्कि अपराध के खिलाफ लड़ाई लड़ना और समाज में बदलाव लाना भी है। हर सुबह राजेंद्र कॉलेज के मैदान में पसीना बहाती ये लड़कियां एक बेहतर और सुरक्षित समाज की कल्पना को साकार करने में जुटी हैं। जब देश और प्रदेश में महिला उत्पीड़न की घटनाएं सुर्खियों में हैं, तो ये बेटियां इस स्थिति को बदलने का दृढ़ संकल्प लेकर मैदान में उतर रही हैं।
शारीरिक परीक्षा की तैयारी: आत्मविश्वास और समर्पण की मिसाल
राजेंद्र कॉलेज के मैदान में हर सुबह करीब 200 से अधिक लड़कियां आती हैं, जो बिहार पुलिस की लिखित परीक्षा पास कर चुकी हैं और अब शारीरिक परीक्षा की तैयारी कर रही हैं। इनकी मेहनत और समर्पण हर किसी को प्रेरित करता है। उनका मानना है कि पुलिस बल में महिलाओं की संख्या बढ़ने से महिला उत्पीड़न की घटनाएं कम होंगी और समाज में सकारात्मक बदलाव आएगा।
तीन महीने से जारी कठोर प्रशिक्षण
राजेंद्र कॉलेज के मैदान में चल रहा प्रशिक्षण पिछले तीन महीने से लगातार जारी है। हर सुबह 4:00 बजे से सीटियों की आवाज के साथ ट्रैक पर अभ्यर्थियों की भीड़ जुट जाती है। शारीरिक ट्रेनर मिंटू कुमार और उनकी टीम के नेतृत्व में अभ्यर्थियों को शारीरिक अभ्यास कराया जाता है, जिसमें वार्म-अप, स्ट्रेचिंग, जॉगिंग, जंपिंग और अन्य अभ्यास शामिल हैं। ट्रेनर मिंटू कुमार बताते हैं कि इस ट्रेनिंग के चलते अब तक 110 से अधिक अभ्यर्थी दरोगा और बिहार पुलिस में चयनित हो चुके हैं। सारण प्रमंडल की ये बेटियां इस ट्रेनिंग को अपनी सफलता का जरिया बना रही हैं और पुलिस की वर्दी पाने का सपना देख रही हैं।
चोट भी नहीं रोक पाई जज्बे को
यहां आने वाली लड़कियां केवल अपने सपने को लेकर नहीं बल्कि अपने संघर्ष और साहस को भी मैदान में ला रही हैं। शुक्रवार की सुबह, एक अभ्यर्थी मैदान में लंगड़ाते हुए पहुंची, उसके पैर में मोच थी, फिर भी उसने कहा कि दर्द सहने की आदत हो गई है, नौकरी मिल जाएगी तो सब कुछ सार्थक हो जाएगा। इसी तरह एक अन्य अभ्यर्थी के घुटने में चोट थी, लेकिन उसने कहा कि दर्द के बावजूद मैं प्रैक्टिस नहीं छोड़ूंगी। यह जज्बा बताता है कि कैसे ये बेटियां हर चुनौती से लड़कर अपने सपनों को पूरा करने में जुटी हैं।
वर्दी पहनने का सपना: मेहनत रंग लाएगी
सारण प्रमंडल की इन बेटियों का एक ही सपना है – पुलिस की वर्दी पहनना। वे यह मानती हैं कि मेहनत रंग लाएगी और उनका सपना जरूर पूरा होगा। उन्होंने अपने संघर्ष और कड़ी मेहनत से यह साबित कर दिया है कि जब इरादे मजबूत हों तो कोई भी बाधा रास्ते का रोड़ा नहीं बन सकती। उनका यह संकल्प और समर्पण निश्चित रूप से उन्हें उनकी मंजिल तक पहुंचाएगा।