PATNA : बिहार से काम की तलाश में बड़ी संख्या में लोग दूसरे राज्यों में जाते हैं। जिसमें एक बड़ी संख्या झारखंड जानेवाले लोगों की भी है। अब तक इन लोगों के विभिन्न कंपनियों और संस्थानों में काम करने की बात सामने आती थी। अब बिहारियों को लूटपाट की नौकरी भी मिलने लगी है। धनबाद रेलवे स्टेशन से आरपीएफ ने महिला समेत नशाखुरानी गिरोह के ऐसे ही तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया है। जिन्होंने पूछताछ में बताया कि उन्हें हर महीने 40 हजार की सैलरी दी जाती थी। और उनका काम ट्रेनों में लूटपाट करना था।
ऐसे आए पकड़ में
पूरी घटना को लेकर आरपीएफ ने बताया कि डेहरी आन सोन निवासी राजीव कुमार सिंह 12 सितंबर को धनबाद के प्लेटफार्म संख्या दो पर गंगा-सतलज एक्सप्रेस के आने का इंतजार कर रहे थे। वहां पीली साड़ी में एक महिला बैठी थी, जबकि एक व्यक्ति उसके पास टहल रहा था। कुछ देर बाद उसने राजीव से बातचीत शुरू कर दी।
थोड़ी देर में जब ट्रेन पहुंची तीनों एक ही बोगी में सवार हुए। इस बीच उसने राजीव को कोल्ड ड्रिंक और चिप्स लेने की जिद की तो न चाहते हुए भी उन्होंने एक-दो चिप्स के साथ कोल्ड ड्रिंक पी ली। इससे उन्हें नींद आने लगी।
अर्द्ध बेहोशी की हालत में उसने महसूस किया कि उसकी सोने की अंगूठी, पास में पड़े 25 हजार रुपये, मोबाइल व अन्य सामान कोई निकाल रहा है। इसी बीच वह बेहोश हो गया।
दस दिन से धनबाद स्टेशन पर लुटेरों की तलाश में लगे रहे
बाद में डेहरी आन सोन पहुंचने पर उन्हें अनुमंडल अस्पताल में भर्ती कराया गया। स्वस्थ होने के बाद राजीव 29 सितंबर को धनबाद पहुंचे। वह तब से लुटेरों की तलाश में थे। इसी बीच सोमवार को उनकी नजर उस महिला पर पड़ी, जिसने लूट की घटना के दिन पीली साड़ी पहन रखी थी। संयोग से वह सोमवार को भी उसी साड़ी में दिखी। माना जा रहा है कि वह नए शिकार की तलाश में थी। लेकिन उससे पहले ही राजीव की निशानदेही पर महिला सहित उसके दोनों साथी पकड़े गए।
गिरफ्तार आरोपितों में अनिल की पत्नी सुनैना देवी, औरंगाबाद के ही सुलैया का 45 वर्षीय वीरेंद्र सिंह व गया के खिजरसराय का 20 वर्षीय सूरज कुमार है। सुनैना का देवर सुनील पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया। तीनों बदमाशों ने बताया कि उनके गैंग में कुल छह सदस्य हैं। जिनमें पांच औरंगाबाद, जबकि एक गया का रहनेवाला है। सरगना औरंगाबाद के देव का अनिल सिंह है, जो पांचों आरोपितों को यात्रियों को लूटने के एवज में बतौर वेतन प्रति माह 40-40 हजार रुपये का भुगतान करता था।