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Bihar Land Survey: अब पहले होगा भूमि सर्वे, तब तय होगा आपकी जमीन किस तरह की है, अगर आपकी जमीन इस वर्ग में आता है तो फिर कब्जा सरकार करेगी

Bihar Land Survey: बिहार में भूमि सर्वे का काम तेजी से जारी है। सर्वे को लेकर सरकारी ने बड़ा अपडेट दिया है। प्रदेश में पहले भूर्मि सर्वे कराया जाएगा इसके बाद यह समीक्षा की जाएगी कि आपकी जमीन कैसी है।

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bihar land survey - फोटो : प्रतिकात्मक

Bihar Land Survey: बिहार में जमीन सर्वे का काम तेजी से जारी है। सरकार 2024 के अगस्त महीने से ही जमीन सर्वे का काम करवा रही है। जमीन सर्वे का कार्य 2025 के अंत तक समाप्त हो सकता है। इसके बाद जमीन की प्रकृति और किस्म का नए सिरे से निर्धारण होगा। इसमें यह तय होगा कि कौन-सी जमीन गैर-मजरुआ आम, गैर-मजरुआ खास, पुश्तैनी, या रैयती है। साथ ही यह भी निर्धारित किया जाएगा कि जमीन धनहर (खेती योग्य), आवासीय, भीठ (आवासीय के बगल की जमीन), या व्यावसायिक है।

जमीन की वर्तमान प्रकृति और निर्धारण का आधार

वर्तमान में जमीन की प्रकृति का निर्धारण 1920 के कैडेस्ट्रल सर्वे और 1968-1972 के बीच हुए रीविजनल सर्वे के आधार पर किया जाता है। जिन क्षेत्रों में रीविजनल सर्वे नहीं हुआ है, वहां 1920 के सर्वे को ही मान्यता दी गई है। जमीन की प्रकृति में बदलाव केवल सरकार के स्तर पर किसी विशेष परियोजना के लिए अस्थायी रूप से किया जाता है।

गड़बड़ियों और विवाद का समाधान

कई स्थानों पर अंचलाधिकारी और अन्य अधिकारियों द्वारा जमीन की प्रकृति बदलने के मामले सामने आए हैं, जैसे: खतियानी जमीन को सरकारी बना देना। सरकारी जमीन को निजी घोषित कर देना। इन गड़बड़ियों के कारण कई जमीनों की खरीद-बिक्री और निबंधन रोक दिया गया है। जमीन विवादों के निपटारे के लिए सभी जिलों में एडीएम (राजस्व) को अधिकृत किया गया है। राज्य सरकार ने 2009 में बिहार भूमि विवाद निराकरण अधिनियम (BLDR Act) लागू किया है।

जमीन की प्रकृति और किस्में

गैर-मजरुआ आम- सरकारी जमीन, लेकिन इसका नियंत्रण ग्राम पंचायत के पास होता है। गैर-मजरुआ खास- सरकारी जमीन, जिसका सीधा नियंत्रण सरकार के पास होता है। इन जमीनों को लीज पर देने का प्रावधान नहीं है। खास महल- सरकारी जमीन, जिसे किसी कार्य के लिए लीज पर दिया जा सकता है। केसरे हिंद- केंद्र सरकार के अधीन जमीन। पुश्तैनी, निजी या रैयती जमीन- व्यक्तिगत या खानदानी संपत्ति। केवल इसी प्रकृति की जमीन की खरीद-बिक्री आसानी से की जा सकती है।

डीएम को निबंधन रोकने का अधिकार

जमीन के निबंधन (खरीद-बिक्री और स्थानांतरण) पर रोक लगाने का अधिकार डीएम को दिया गया है। कई जिलों में डीएम ने इसके लिए विशेष कमेटी बनाई है, जो समीक्षा कर निबंधन सूची में खाता-खेसरा और प्लॉट जोड़ती या हटाती है। सरकारी जमीन, कोर्ट के आदेश, या जांच एजेंसी द्वारा जब्ती के मामलों में निबंधन पर रोक लगाई जाती है।

सर्वे का महत्व

नए सर्वे के पूरा होने के बाद जमीन की प्रकृति और उपयोग से जुड़े विवादों में कमी आएगी। साथ ही, जमीन की खरीद-बिक्री और अन्य प्रक्रियाएं अधिक पारदर्शी और व्यवस्थित हो सकेंगी। राज्य में चल रहा व्यापक जमीन सर्वे का काम 2025 के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है। इस सर्वे के पूरा होने के बाद राज्य में जमीन की प्रकृति को लेकर जो अस्पष्टता रही है, वह दूर हो जाएगी।

क्या होगा इस सर्वे से?

जमीन की प्रकृति होगी स्पष्ट: इस सर्वे के बाद यह साफ हो जाएगा कि कौन सी जमीन सरकारी है, कौन सी निजी और कौन सी खेती के लिए है। पुराने रिकॉर्ड होंगे अपडेट: 1920 और 1970 के दशक के पुराने जमीन रिकॉर्ड अब अपडेट हो जाएंगे। जमीन विवादों का होगा निपटारा: जमीन से जुड़े विवादों को सुलझाने में आसानी होगी। भूमि सुधार होगा आसान- भूमि सुधार के कामों में तेजी आएगी।

क्यों जरूरी है यह सर्वे?

अस्पष्टता दूर होगी- कई बार जमीन की प्रकृति को लेकर विवाद हो जाते हैं। यह सर्वे इन विवादों को खत्म करेगा। विकास कार्यों में मदद- इस सर्वे से विकास कार्य योजना बनाने में आसानी होगी। भूमि रिकॉर्ड होंगे डिजिटल- जमीन के रिकॉर्ड डिजिटल रूप में होंगे, जिससे इनका रखरखाव आसान होगा। कई बार अंचलाधिकारी अपनी मनमर्जी से जमीन की प्रकृति बदल देते हैं, जिससे विवाद खड़े हो जाते हैं। जमीन विवादों का निपटारा करने में समय लग सकता है। सर्वे के बाद भी कुछ नई समस्याएं सामने आ सकती हैं। यह सभी सर्वे के लिए चुनौती बनी हुई है।

सरकार क्या कर रही है?

सरकार ने जमीन विवादों को सुलझाने के लिए कानून बनाए हैं। जो अधिकारी जमीन की प्रकृति में हेरफेर करते हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाती है। लोगों को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक किया जा रहा है। रैयतदार जमीन सर्वे के बारे में पूरी जानकारी लें। अपने जमीन के दस्तावेज सुरक्षित रखें। अगर कोई विवाद होता है तो कानूनी सलाह लें। यह जमीन सर्वे राज्य के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे जमीन से जुड़ी कई समस्याओं का समाधान होगा और राज्य का विकास होगा।

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