PATNA - पटना आकर राहुल गांधी ने सियासी पारा सिर्फ बिहार में नहीं बढ़ाया है. झारखंड तक माहौल गरम हो गया है. 18 जनवरी को पटना में राहुल गांधी ने कह दिया बिहार वाली जातीय गणना फेक थी. राहुल गांधी की ये लाइन जितनी छोटी थी, मतलब उतना ही बड़ा था. सीएम नीतीश पर हमला तो था, लेकिन घेरा तेजस्वी यादव से लेकर हेमंत सोरेन गए. सवाल पूछे जा रहे हैं कि बिहार वाली जाति गणना फेक थी, तो झारखंड में कब होगा ये जानकारी तो साक्षा करवा दीजिए हुजूर...
चंपाई सोरेन ने किया था प्रस्ताव पारित
झारखंड में 152 दिन रहे मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने अपने कार्यकाल के दौरान ही कैबिनेट में जातीय जनगणना के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी थी. कैबिनेट में पारित प्रस्ताव में कहा गया था कि जातीय सर्वेक्षण का उद्देश्य राज्य में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी वर्ग को उनकी हिस्सेदारी के अनुसार समानता का अवसर प्रदान करना है.
हालांकि पारित प्रस्ताव में यह तय नहीं किया गया था कि जातीय सर्वेक्षण की प्रक्रिया क्या होगी और इसकी शुरूआत कब से होगी. झारखंड कैबिनेट से इस प्रस्ताव को पास 20 जून 2024 को किया गया था और अब तक इस प्रस्ताव पर क्या काम हुआ, ये किसी से छुपा हुआ नहीं है.
बिहार में 484 दिन में हुआ था सर्वे
अब बिहार वाली जाति सर्वेक्षण को विस्तार से जानिए. कब हुआ और इसके होने से क्या फायदा अब तक देखने को मिला है. फिर लौटकर झारखंड पर आएंगे. दरअसल 6 जून 2022 को बिहार में जाति सर्वेक्षण कराने के लिए अधिसूचना जारी की गई थी. बिहार में सरकार ने आकस्मिकता यानी कंटीजेंसी फंड से करीब 500 करोड़ खर्च किया था. जबकि 5 लाख कर्मचारियों ने मिलकर पूरे राज्य में सर्वे को अंजाम दिया था. 2 अक्टूबर 2023 को बिहार में जाति आधारित सर्वेक्षण रिपोर्ट जारी किया गया. बिहार में 484 दिन जाति आधारित सर्वेक्षण करवाने में लगा था.
रिपोर्ट के आधार पर बढ़ाया गया आरक्षण का दायरा
बिहार में जाति आधारित सर्वेक्षण का फायदा ये हुआ कि नवंबर 2023 को सीएम नीतीश कुमार ने विधानसभा में आरक्षण के दायरे को बढ़ाए जाने संबंधी विधेयक पेश किया. इसके आधार पर एससी का आरक्षण 13 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी, एसटी का आरक्षण 1 से 2 फीसदी, ओबीसी-12 से 18 फीसदी, ईबीसी-18 से 25 फीसदी किया गया. 21 नवंबर 2023 को राज्यपाल राजेंद्रर विश्वनाथ आर्लेकर की मंजूरी के बाद आरक्षण बढ़ाई जाने संबंधी विधेयक कानून बन गया.
हालांकि बाद में 20 जून 2024 को बिहार सरकार के फैसले को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था. अब आरजेडी आरक्षण के बढ़ाए गए दायरे को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रही है. इस मुद्दे को लेकर बीजेपी को घेरा भी जाता है. क्योंकि ये काम केंद्र सरकार को ही करना है.
तेजस्वी से राहुल ने छीन लिया बड़ा मुद्दा
बिहार की देखा देखी कई राज्यों में भी जाति सर्वेक्षण कराने की मांग उठ रही है. राहुल गांधी ने पटना में बिहार वाली जाति सर्वेक्षण को फेक क्या बताया, कांग्रेस से लेकर आजेडी वाले राहुल गांधी के बयान का मतलब बता रहे हैं. पर सच यही है कि राहुल गांधी ने तेजस्वी यादव के बड़े मुद्दे को गौण कर दिया.
पर सवाल फिर से घूमकर झारखंड पहुंच रहा है कि आखिर वहां कब होगी जाति सर्वेक्षण. हालांकि इसका जवाब समय-समय पर सत्तापक्ष के तरफ से दिया जाता है कि जल्द होगा. पर कब होगा ?, जवाब सिर्फ हेमंत सोरेन ही जानते हैं. खैर राहुल गांधी अगर जाति सर्वेक्षण को लेकर इतना ही सजग है तो झारखंड में सरकार पर दवाब क्यों नहीं डालते हैं. बिहार वाला जाति सर्वेक्षण फेक है, तो ओरिजनल वाला झारखंड में करवा दें. वहां तो कांग्रेस भी सत्ता में भागीदार है.
देवांशु प्रभात की रिपोर्ट