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Patna High Court News : पटना हाईकोर्ट से तिरुवन्तपुरम सिटी के बिल्डर को नहीं मिली राहत, रेरा के आदेश को रखा बरकरार, जानिए क्या है पूरा मामला

Patna High Court News : पटना हाईकोर्ट से अशोपुर स्थित तिरुवन्तपुरम सिटी के बिल्डर को कोई राहत नहीं मिली है. कोर्ट ने रेरा के आदेश को बरकरार रखते हुए यह आदेश दिया है....पढ़िए आगे

Patna High Court News : पटना हाईकोर्ट से तिरुवन्तपुरम सिटी के बिल्डर को नहीं मिली राहत, रेरा के आदेश को रखा बरकरार, जानिए क्या है पूरा मामला

PATNA : पटना हाईकोर्ट ने दानापुर के अशोपुर स्थित तिरुवन्तपुरम सिटी के बिल्डर को राहत देने से इंकार करते हुए रेरा के आदेश को बरकरार रखा है। वही बिल्डर की ओर से उठाई गई हर आपत्ति को नामंजूर कर दिया।जस्टिस सुनील दत्त मिश्रा ने नेश इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई के बाद उसे खारिज कर दिया। कोर्ट को बताया गया कि जमीन मालिक और बिल्डर के बीच एक  समझौता हुआ था।इसके तहत यह निर्धारित किया गया कि फ्लैट को कब्जा लेने के समय बिल्डर को कोई भुगतान नहीं करना होगा। समझौते में यह भी निर्धारित किया गया कि परियोजना विकास समझौते पर हस्ताक्षर करने के ढाई साल के भीतर निर्णय पूरा हो जायेगा।

छह महीने की छूट अवधि होगी। यह भी सहमति हुई कि यदि बिल्डर निर्धारित समय सीमा के भीतर फ्लैटों का निर्माण पूरा करने में विफल रहता है, तो बिल्डर को पूर्ण फ्लैटों का कब्जा सौंपने तक प्रति फ्लैट प्रति माह आठ हजार रुपये की दर से भूमि-स्वामी को मुआवजा देना होगा। समझौता में यह भी प्रावधान किया गया था कि बहुमंजिला इमारत को और अधिक मंजिल आगे बढ़ाया जाता है, तो अतिरिक्त निर्माण का हिस्सा आनुपातिक रूप से वितरित किया जाएगा। कोर्ट को बताया गया कि परियोजना सात साल बाद भी पूरी नहीं हुई और बिल्डर ने अवैध धन की मांग जमीन मालिकों से की।

इसे लेकर जमीन मालिकों ने कानून की धारा 31 के तहत शिकायत दर्ज की। रेरा ने अपने आदेश में साठ दिनों के भीतर परियोजना का पूर्णता प्रमाण पत्र और अधिभोग प्रमाण पत्र प्राप्त करने के बाद जमीन मालिकों को प्रत्येक फ्लैट के साथ चार पहिया वाहन के लिए कवर पार्किंग स्थान के साथ तीन निर्दिष्ट फ्लैटों का कब्जा सौंपने का आदेश दिया। इस परियोजना की 6वीं और 7वीं मंजिल पर आनुपातिक हिस्सेदारी के संबंध में सिविल कोर्ट या उपभोक्ता अदालत का दरवाजा खटखटाने की पूरी छूट दी।

यही नहीं, मुआवजे के दावे के लिए, प्राधिकरण के न्याय निर्णायक अधिकारी के समक्ष एक अलग आवेदन दायर करने की भी छूट दी। रेरा के आदेश की वैधता को अपीलीय न्यायाधिकरण में अपील दायर कर चुनौती दी।लेकिन अपीलीय न्यायाधिकरण ने रेरा के आदेश में  किसी प्रकार का त्रुटि नहीं पाते हुये अपील को खारिज कर दिया। इन दोनों आदेशों को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई। लेकिन कोर्ट ने चुनौती दी गई। आदेश में किसी तरह का खामियां नहीं पाते हुये अर्जी को  खारिज कर दिया।

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