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पुष्य नक्षत्र बदल सकता है आपकी किस्मत, बस गुरु पुष्यामृत योग में करें इस गुरु मंत्र का जाप

शिव पुराण के अनुसार गुरु पुष्यामृत योग में किया गया जप, ध्यान, दान, पुण्य महाफलदायी होता है परंतु पुष्य में विवाह व उससे संबधित सभी मांगलिक कार्य वर्जित हैं

पुष्य नक्षत्र बदल सकता है आपकी किस्मत, बस गुरु पुष्यामृत योग में करें इस गुरु मंत्र का जाप

24 अक्टूबर 2024, गुरुवार को सूर्योदय से 25 अक्टूबर सूर्योदय तक विशेष गुरुपुष्यामृत योग का संयोग बन रहा है, जो आध्यात्मिक और धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दौरान पुष्य नक्षत्र का विशेष प्रभाव रहेगा, जिसे समृद्धि और शुभता का प्रतीक माना जाता है। शास्त्रों में पुष्य नक्षत्र को नक्षत्रों का राजा कहा गया है, और इसके स्वामी देवगुरु बृहस्पति हैं। इस योग में की गई पूजा-अर्चना, जप और ध्यान अत्यंत फलदायी होते हैं।


108 मोती की माला से जप का विशेष महत्व

पुष्य नक्षत्र के समय यदि कोई व्यक्ति श्रद्धा और भक्तिपूर्वक 108 मोती की माला लेकर गुरु मंत्र का जप करता है, तो उसे विशेष फल की प्राप्ति होती है। इस योग में 27 नक्षत्रों के देवता उस व्यक्ति पर प्रसन्न होते हैं। पुष्य नक्षत्र का विशेष महत्व यह है कि यह नक्षत्र संपत्ति और समृद्धि की वृद्धि करता है। इस अवसर पर देवगुरु बृहस्पति का पूजन करना अत्यंत लाभकारी होता है। बृहस्पति को समर्पित मंत्र "ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नमः" का जप करते हुए सद्गुरु का स्मरण और पूजन करने से भक्तों को विशेष कृपा प्राप्त होती है। यह मंत्र बृहस्पति के आशीर्वाद से जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर कर सुख-समृद्धि लाता है।


पुष्य नक्षत्र का शास्त्रों में महत्व

'शिव पुराण' में पुष्य नक्षत्र को भगवान शिव की विभूति के रूप में वर्णित किया गया है। इसके प्रभाव से अनिष्ट दोष भी समाप्त हो जाते हैं और वे शुभ फल देने वाले बन जाते हैं। शास्त्रों में कहा गया है, "सर्वसिद्धिकर: पुष्य:," अर्थात पुष्य नक्षत्र सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाला है। पुष्य नक्षत्र में किया गया श्राद्ध कर्म पितरों को अक्षय तृप्ति प्रदान करता है, और कर्ता को धन और संतान की प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है।


गुरुपुष्यामृत योग में जप, ध्यान और दान का महत्व

गुरुपुष्यामृत योग के दौरान किया गया जप, ध्यान, और दान महाफलदायी होता है। इस योग में किए गए धार्मिक कर्म जीवन को सुखमय और समृद्ध बनाते हैं। हालांकि, इस योग में विवाह और अन्य मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं, क्योंकि पुष्य नक्षत्र में विवाह अशुभ माना गया है। इस विशेष योग का लाभ उठाकर भक्तजन अपने जीवन को आध्यात्मिक और भौतिक समृद्धि की ओर ले जा सकते हैं

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