बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

Earthquake In Bihar: बिहार में भूकंप, जब एक साथ 10 हजार लोग मारे गए, कई जिले हो गए बर्बाद, जानिए कब कब डोली थी धरती...

Earthquake In Bihar: बिहार के इतिहास का वो सबसे विनाशकारी दिन था। कड़ाके की ठंड में लोग दोपहर की धूप सेंक रहे थे तभी धरती डोलने लगी और फिर....

Earthquake
Earthquake In Bihar- फोटो : social media

Earthquake In Bihar:  7 जनवरी की सुबह जब अचानक धरती डोली तो लोग दहशत में आ गए। लोगों को पहले समझ ही नहीं आया कि हो क्या रहा है। कई लोगों ने भूकंप के झटके महसूस किए और कड़ाके की ठंड में आनन-फानन में घरों से बाहर निकलें लगे। कई लोग तो नींद में थे और झटके से जग गए। अचानक आए भूकंप के झटके ने लोगों को 2015 में आए भूकंप और उससे पहले आए भूकंप की याद दिला दी। बिहार सहित दिल्ली एनसीआर औऱ  पश्चिम बंगाल में भी भूकंप के झटके महसूस हुए। लोगों के चेहरे पर खौफ साफ झलक रहा था। भूंकप का केंद्र नेपाल-तिब्बत सीमा के पास शिजांग में रहा। 

"रेड जोन" वाली तीव्रता से डोली धरती 

रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 7.1 मापी गई। तिब्बत में 6.8 तीव्रता से भूकंप के झटके महसूस किए गए। दो कि रेड जोन में आता है। यानि कि खतरनाक श्रेणी में बिहार, सिक्किम, असम और नॉर्थ बंगाल सहित भारत के कई इलाकों में भी झटके महसूस किए गए। करीब 5 सेकेंड तक धरती डोली। हालांकि अभी तक किसी प्रकार की तबाही की तस्वीर सामने नहीं आई है। बिहार में भी जानमाल का नुकसान नहीं हुई है। भूकंप के झटके 6 बजकर 30 से 40 मिनट के बीच में महसूस किए गए हैं। बार-बार महसूस किए गए झटकों ने लोगों को उस विनाशकारी भूकंप की याद दिला दी, जिसने बिहार के कई जिलों को तहस-नहस कर दिया था।

बिहार का सबसे खतरनाक भूकंप: 1934 का त्रासदीपूर्ण दिन

दरअसल, बिहार ने अपने इतिहास में कई विनाशकारी भूकंप झेले हैं। इनमें सबसे भयानक भूकंप 15 जनवरी 1934 को आया था, जिसे "बिहार 1934 भूकंप" के नाम से जाना जाता है। इस भूकंप ने 10,000 से अधिक लोगों की जान ले ली और बिहार के कई हिस्सों को बर्बाद कर दिया। 15 जनवरी 1934 की उस कड़ाके की ठंड में जब लोग मकर संक्रांति के बाद की धूप का आनंद ले रहे थे। दोपहर 2:13 बजे धरती ने कांपना शुरू कर दिया। इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 8.5 थी। इसके झटके इतने भयानक थे कि कई स्थानों पर जमीन फट गई। इसका केंद्र माउंट एवरेस्ट के दक्षिण में, नेपाल के पूर्वी हिस्से में 9.5 किमी भीतर स्थित था।




तबाही का मंजर

भूकंप ने बिहार के मुंगेर और मुजफ्फरपुर को सबसे ज्यादा प्रभावित किया। पूर्णिया से लेकर चंपारण और काठमांडू से मुंगेर तक विनाश का दृश्य देखने को मिला। इस भूकंप का असर इतना गहरा था कि लोगों की सांसें धूल और मलबे से घुटने लगीं। इस भूकंप के गवाह रहे लोग अपनी पीढ़ियों को इसके भयावह दृश्य की कहानियां सुनाते हुए सिहर जाते हैं। मलबे और रेत के कारण कई स्थानों पर पानी का स्तर कम हो गया था। मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी और दरभंगा जैसे इलाकों में आज भी इसके निशान देखे जा सकते हैं। 

इतिहास में सबसे विनाशकारी घटना 

पुरानी इमारतें तिरछी हो गई थीं, और उनका असर अब तक देखा जाता है। इसके बाद 1988 और 2011 में आए भूकंप ने भी बिहार को झकझोर दिया था। खासकर, सितंबर 2011 में सिक्किम में आए भूकंप का असर बिहार में महसूस किया गया। लेकिन 1934 का भूकंप अब भी प्रदेश के इतिहास में सबसे विनाशकारी घटना के रूप में दर्ज है। वहीं आज एक बार फिर भूकंप के झटके ने लोगों को डरा दिया है। मकर संक्राति के कुछ दिन पहले ही भूकंप के झटके महसूस हुए। भूकंप के झटके से कड़ाके की ठंड में लोगों घरों से बाहर निकल गए। 

Editor's Picks