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वाल्मिकी जयंती आज, जानें इससे जुड़ी पौराणिक कथाएं

Valmiki Jayanti

रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मिकी के नाम पर हर साल वाल्मिकी जयंती मनाया जाता है। ऋषि वाल्मीकि का जन्म आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि को हुआ था। महर्षि वाल्मिकी के जन्म दिवस को ही वाल्मिकी जयंती के रूप में मनाया जाता है। महर्षि वाल्मिकी का नाम केवल एक समुदाय तक ही सीमित नहीं है बल्कि उनका ज्ञान और मार्गदर्शन आज भी करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा है। वाल्मिकी को अपने विद्वता और तप के कारण महर्षि की पदवी प्राप्त हुई थी। 


वाल्मीकि का वास्तविक नाम अग्नि शर्मा था। वाल्मीकि का शाब्दिक अर्थ है वह जो चींटी-पहाड़ियों से उत्पन्न हुआ हो। उनकी तपस्या के समय उनके चारों ओर बनी विशाल चींटी-पहाड़ियों के कारण उन्हें इस नाम से जाना जाने लगा। उन्हें महाकाव्य रामायण के रचनाकार के रूप में पहचाना जाता है।


महर्षि वाल्मीकि ने संस्कृत में रामायण की रचना की, जिसे प्राचीन ग्रंथों में गिना जाता है। महर्षि वाल्मीकि के जन्म के संबंध में विभिन्न मत हैं, लेकिन यह कहा जाता है कि उनका जन्म महर्षि कश्यप और देवी अदिति के नौवें पुत्र वरुण तथा उनकी पत्नी चर्षिणी के घर हुआ था।


बता दें कि वाल्मिकी जी को भगवान राम का परम भक्त माना जाता है। महर्षि वाल्मिकी ने ही रामायण की रचना की थी। वाल्मिकी जयंती सभी लोग मनाते हैं, लेकिन वाल्मिकी समुदाय के लोगों के लिए वाल्मिकी जयंती विशेष मानी जाती है। वाल्मिकी समुदाय के लोग ऋषि वाल्मिकी को भगवान का रूप मानते हैं और उनकी पूजा करते हैं। इस दिन उनके मंदिरों और स्थानों को फूलों से सजाया जाता है और रामायण की चौपाई गाई जाती हैं।


महान ऋषि बनने से पहले महर्षि वाल्मीकि एक डाकू थे, जिनका नाम रत्नाकर था। रत्नाकर नाम के इस डाकू ने अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए वन में आने वाले लोगों को लूटा। लेकिन एक दिन नारद मुनि से मुलाकात ने उनका जीवन बदल दिया। नारद मुनि ने रत्नाकर से पूछा, "तुम ये पाप क्यों करते हो? क्या तुम्हारा परिवार तुम्हारे पापों का भागीदार बनेगा?" नारद मुनि की बातों ने रत्नाकर को झकझोर दिया। रत्नाकर ने अपने पापों के लिए पश्चाताप किया और क्षमा याचना के लिए तपस्या में लीन हो गए। उनकी तपस्या इतनी गहरी थी कि उनके चारों ओर चींटियों ने अपना घर बना लिया और वह 'वाल्मीकि' (चींटी के घर से निकला हुआ) कहलाने लगे। महर्षि वाल्मीकि की कहानी हमें बताती है कि सच्चे पश्चाताप और तपस्या से इंसान कितना भी बड़ा पापी क्यों न हो, वह मोक्ष प्राप्त कर सकता है।

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