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Parenting Tips: बच्चों से माफी मांगने से झिझकें नहीं, पड़ेगा बुरा असर; रिश्तें होंगे खराब

अगर आप चाहते हैं कि आपके बच्चों पर बुरा असर न पड़े, तो उसके लिए आपको भी कई सारी आदतें सुधारनी पड़ेगी। माना जाता है कि आप जो करेंगे बच्चे भी वही सिखते हैं। ऐसे में कुछ आदतें सुधार लें।

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आमतौर पर हम किसी छोटी गलती पर सामने वाले से तुरंत माफी मांगते हैं। यहां तक कि घर-परिवार के लोग भी गलती पर एक-दूसरे से ‘सॉरी’ कहते हुए दिखाई देते हैं। लेकिन क्या आपने ध्यान दिया है कि माता-पिता अपने बच्चों से माफी नहीं मांग पाते हैं, भले ही गलती उनकी तरफ से हुई हो। पेरेंट्स और बच्चों के बीच का रिश्ता सिर्फ एक पारिवारिक रिश्ता नहीं है। यह रिश्ता बच्चों के मानसिक और सामाजिक विकास में अहम भूमिका निभाता है। इसलिए इस रिश्ते में ईमानदारी के साथ बेहतर समझ जरूरी है। इसके बावजूद पेरेंट्स गलतियां करने पर अपने बच्चों से माफी नहीं मांग पाते हैं। कई बार तो वे माफी मांगने के बजाय अपने गलत फैसलों को सही साबित करने की कोशिश करते हैं। वहीं, कुछ मौकों पर बच्चे गलती नहीं होने के बावजूद ‘सॉरी डैडी’ या ‘सॉरी मम्मी’ कहते हुए दिखाई देते हैं। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि पेरेंट्स दोषी हैं। बस उन्हें इसके प्रभाव और परिणाम की समझ नहीं है।


माफी मांगने से झिझकते हैं पेरेंट्स

पेरेंट्स अक्सर अपनी गलतियों के लिए बच्चों से माफी मांगने में झिझकते हैं। इसके पीछे मानसिक और सामाजिक कारण जिम्मेदार हैं। माता-पिता का मानना होता है कि बच्चों से माफी मांगने से उनका सम्मान कम हो जाएगा। यह स्थिति अक्सर अहंकार, शर्म या खुद के कमजोर साबित होने के डर के कारण उत्पन्न होती है। वहीं सख्त और डॉमिनेटिंग पेरेंट्स को लगता है कि अगर वे बच्चों से माफी मांगेंगे तो उनकी पोजिशन कमजोर हो जाएगी। कई पेरेंट्स को अपनी गलती मानने पर शर्मिंदगी महसूस होती है और डर होता है कि बच्चा उनका फायदा उठाएगा या मजाक बनाएगा। यदि हम सामाजिक कारणों पर गौर करेंगे तो पाएंगे कि पेरेंट्स को पेरैंटिंग के कई बेहतर तरीकों के बारे में नहीं पता होता है, जो बच्चों के विकास में बड़ा प्रभाव डाल सकती हैं। आइए इन कारणों को ग्राफिक के माध्यम से समझते हैं।


इस तरह से पेरेंट्स और बच्चों के बीच कम्युनिकेशन गैप होता है खत्म

पेरेंट्स को अपनी गलती पर बच्चों से बिना किसी संकोच के माफी मांगनी चाहिए। इससे माता-पिता और बच्चों के बीच एक हेल्दी रिलेशन बनता है और दोनों के बीच अच्छी बॉन्डिंग बनती है। साथ ही बच्चों को यह भी समझ आता है कि गलती किसी से भी हो सकती है। इससे बच्चों में जिम्मेदारी का भाव आता है और वे इमोशनली मेच्योर होते हैं। साथ ही माता-पिता और बच्चों के बीच कम्युनिकेशन गैप खत्म होता है। इससे बच्चे यह समझते हैं कि गलतियों को स्वीकार करने में भलाई है और इस मामले में सब समान हैं। भले कोई कितना बड़ा हो।


इस कारण बच्चों से रिश्ता होता है खराब

पेरेंट्स जब अपनी गलती पर माफी मांगने से बचते हैं, तो भले ही यह उनके अंहकार को संतुष्ट करता है, लेकिन बच्चों के साथ उनके रिश्ते और बच्चों के विकास के लिए खतरनाक हो सकता है। ऐसे में अपनी गलतियों पर बच्चों से माफी न मांगना एक खराब पेरेंटिंग की पहचान है। इसके कई सारे नुकसान हो सकते हैं, जो बच्चों के विकास के साथ आपके परिवार को हानि पहुंचा सकते हैं।

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