मानसिक स्वास्थ्य हमारे पूरे स्वास्थ्य और जीवन के हर पहलू को प्रभावित करता है। महिलाओं के लिए यह विशेष रूप से जरूरी है क्योंकि उनकी जिम्मेदारियां और काम अधिक होते हैं। महिलाओं की जीवनशैली, भूमिका और उनसे अपेक्षाएं उनके मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डालती हैं। उनके आसपास की परिस्थितियों और गतिविधियों से उनका तनाव बढ़ता है और व्यवहार में चिड़चिड़ापन आ जाता है जो उन्हें मानसिक रूप से थका देता है।
महिलाओं के आसपास बोले जाने वाले शब्दों, बातों और विचारों का गहरा असर उनके मानसिक स्वास्थ्य पर होता है। जैसे, अगर बार-बार उनकी तुलना किसी और से की जाए या उनकी गलतियों को बढ़ा-चढ़ाकर बताया जाए, तो इससे वे खुद को हीन महसूस करने लगती हैं। ये बातें धीरे-धीरे उनके आत्मविश्वास को कमज़ोर कर देती हैं और वे ख़ुद को अकेला महसूस करने लगती हैं।
भावनात्मक रूप से संतुलित रहना मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है। लेकिन कई बार, महिलाओं की भावनात्मक ज़रूरतों को नजरअंदाज कर दिया जाता है। जब उनकी भावनाओं को समझा नहीं जाता या उनकी समस्याओं को हल्के में लिया जाता है, तो वे ख़ुद को अनसुना और अंधकार में घिरा हुआ महसूस करने लगती हैं।
महिला सारा समय घर व्यवस्थित करने में ही लगा देती है। लेकिन जब वही व्यवस्था बिगड़ती है और सामान अपनी जगह पर ना होकर इधर-उधर बिखरा मिलता है तो उसे देखकर तनाव भी बढ़ता है। इतना ही नहीं, जब परिवार के सदस्य घरेलू काम में मदद नहीं करते, तो सारी जि़म्मेदारी अकेले महिला पर आ जाती है, जिससे चिड़चिड़ाहट होने लगती है। ऐसा महसूस होने लगता है कि उसके ऊपर ज़रूरत से ज़्यादा बोझ डाल दिया गया है। हर काम के लिए परिवार उस पर निर्भर रहता है।
महिलाएं खुद को अगर इंपोर्टेंस देना शुरू कर दें तो वे बहुत बेटर फील करेंगी। महिलाएं खुद के लिए समय निकालना सीखें। घर से थोड़ा बाहर निकलें। खुलकर बात करें। मदद मांगने से हिचकिचाएं बिल्कुल भी नहीं। व्यायाम और योग तो जरूर करें।