Bihar politics - केंद्रीय मंत्री के सामने एनडीए के मंच पर भिड़े निर्दलीय मंत्री और पूर्व एमएलसी, गठबंधन की एकता की सच्चाई आ गई सामने
Bihar politics - मंत्री सुमित कुमार सिंह और कार्यकर्ता सम्मेलन में पूर्व MLC संजय प्रसाद के समर्थकों में जोरदार विवाद हो गया।स्थिति इतनी बिगड़ गई कि मंच पर पहले दोनों नेताओं में तीखी नोकझोंक हुई और फिर कार्यकर्ताओं के बीच धक्का-मुक्की और हाथापाई शुरू

Jamui - जमुई जिले में आयोजित एक राजनीतिक सम्मेलन में भारी हंगामा देखने को मिला, जब मंच पर चढ़ने और अपने-अपने नेताओं का गर्मजोशी से स्वागत करने को लेकर मंत्री सुमित कुमार सिंह और पूर्व एमएलसी संजय प्रसाद के समर्थकों में जोरदार विवाद हो गया। देखते ही देखते स्थिति इतनी बिगड़ गई कि मंच पर पहले दोनों नेताओं में तीखी नोकझोंक हुई और फिर कार्यकर्ताओं के बीच धक्का-मुक्की और हाथापाई शुरू हो गई। स्थिति पर काबू पाने के लिए मौके पर मौजूद सुरक्षाकर्मियों और पुलिस बल को हस्तक्षेप करना पड़ा।
इस दौरान मंच पर केंद्रीय मंत्री रामनाथ ठाकुर और जदयू के राष्ट्रीय महासचिव श्याम रजक मौजूद थे। जिन्हें हंगामे के कारण बिना भाषण दिए ही वापस लौटना पड़ा।
मंच पर अव्यवस्था और हंगामा
यह घटना तब हुई जब कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केंद्रीय मंत्री रामनाथ ठाकुर और जदयू नेता श्याम रजक मंच पर पहुंचे। भीड़ इतनी ज्यादा थी कि लोग मंच पर चढ़ने लगे, जिससे अव्यवस्था फैल गई। स्थिति इतनी बेकाबू हो गई कि सुरक्षाकर्मियों और पुलिस को मोर्चा संभालना पड़ा।
लोजपा (आर) और पूर्व एमएलसी की नाराजगी
मंच पर जगह न मिलने से लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता संजय मंडल भी बेहद नाराज दिखे। उन्होंने अपनी नाराजगी खुलकर जाहिर करते हुए अपने समर्थकों के साथ कार्यक्रम स्थल को छोड़ दिया। उनके जाने के तुरंत बाद, पूर्व एमएलसी संजय प्रसाद भी केंद्रीय नेताओं के वापस लौटने पर अपने कार्यकर्ताओं के साथ वापस हो गए। इस घटना ने साफ कर दिया कि पार्टी के भीतर सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है।
मंत्री सुमित कुमार सिंह की मौजूदगी
हालांकि, हंगामे के बाद भी मंत्री सुमित कुमार सिंह अपने समर्थकों के साथ कार्यक्रम स्थल पर मौजूद रहे। उन्होंने कार्यकर्ताओं को शांत करने की कोशिश की, लेकिन सम्मेलन का माहौल पूरी तरह बिगड़ चुका था। इस घटना से कार्यकर्ताओं में मायूसी साफ झलक रही थी।
कार्यकर्ताओं में निराशा का माहौल
नेताओं के बिना भाषण दिए लौटने से कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरा। जिस उत्साह के साथ वे अपने नेताओं को सुनने आए थे, वह हंगामे की भेंट चढ़ गया। यह घटना न केवल पार्टी के भीतर की अव्यवस्था को दर्शाती है, बल्कि यह भी संकेत देती है कि छोटे-मोटे मतभेद भी बड़े कार्यक्रमों को प्रभावित कर सकते हैं।
संगठन की कमजोर कड़ी सामने आई
इस घटना से यह भी साफ होता है कि पार्टी का जमीनी स्तर पर संगठन कमजोर है। यदि कार्यक्रम का प्रबंधन ठीक से किया गया होता, तो इस तरह के हालात से बचा जा सकता था। मंच पर नेताओं की व्यवस्था और भीड़ को नियंत्रित करने में हुई चूक ने पूरे आयोजन की गरिमा को ठेस पहुंचाई है।
आगामी चुनावों पर असर
इस घटना का आगामी चुनावों पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। नेताओं के बीच मनमुटाव और कार्यकर्ताओं की निराशा विरोधी पार्टियों को निशाना साधने का मौका दे सकती है। यह घटना पार्टी नेतृत्व के लिए एक चेतावनी है कि उन्हें आंतरिक कलह और संगठन की कमियों को तुरंत दूर करना होगा, ताकि भविष्य में इस तरह की embarrassing घटनाओं से बचा जा सके।