Navratri 2025: बिहार का अनोखा धाम, जहां नवरात्रि पर लगता है भूतों का मेला
नवरात्रि के पावन अवसर पर एक अनोखा मेला लगता है, जिसे लोग "भूतों का मेला" कहते हैं।...

Navratri 2025: भारत भूमि ऋषि-मुनियों, संत-महात्माओं और चमत्कारों की पावन धरा है। इसी पावन धरा पर बिहार के कैमूर जिले के चैनपुर क्षेत्र में स्थित हरसू ब्रह्मधाम का महत्व अत्यंत अद्भुत और अलौकिक है। यहां नवरात्रि के पावन अवसर पर एक अनोखा मेला लगता है, जिसे लोग "भूतों का मेला" कहते हैं। मान्यता है कि जितने भी क्रोधी भूत-प्रेत अथवा अदृश्य शक्तियों से पीड़ित व्यक्ति इस धाम पर आते हैं, वे बाबा हरसू के दरबार में शांत हो जाते हैं और पीड़ित निरोग होकर घर लौटता है। यही कारण है कि यहां नवरात्र के समय लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है।
लोकश्रुतियों के अनुसार, बाबा हरसू ब्राह्मण थे और राजा शालिवाहन के राजपुरोहित भी। राजा की कोई संतान नहीं थी। बाबा ने उन्हें दूसरी शादी की सलाह दी। राजा ने यह परामर्श मानकर दूसरी शादी कर ली, जिससे पहली रानी अत्यंत क्रोधित हो उठीं। उन्होंने अपने क्रोध में आकर बाबा हरसू का महल ध्वस्त करा दिया। इससे आहत होकर बाबा ने राजा और उनके राजपाट को विनाश का शाप दिया और तत्पश्चात स्वयं शरीर का त्याग कर दिया। उसी दिन से यह स्थान ब्रह्मस्थान के रूप में प्रसिद्ध हो गया और यहां पूजा-अर्चना का क्रम प्रारंभ हुआ।
हरसू ब्रह्मधाम का इतिहास शताब्दियों पुराना है। जनमान्यता है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। जिन पर भूत-प्रेत अथवा अदृश्य शक्तियों का साया होता है, वे यहां लगातार पंद्रह माह तक नियमित पूजा-पाठ करते हैं और उनकी सभी समस्याओं का समाधान हो जाता है। यही कारण है कि न केवल देश के कोने-कोने से, बल्कि विदेशों से भी भक्त यहां आते हैं और बाबा के चरणों में अपनी पीड़ा अर्पित करके समाधान प्राप्त करते हैं।
नवरात्रि के दिनों में यहां विशेष आयोजन होता है। भूत-प्रेत बाधा से ग्रसित लोग अपने परिजनों के साथ पहुंचते हैं। धाम में गूंजते भजन-कीर्तन और मंत्रोच्चारण के बीच वातावरण अध्यात्म से ओतप्रोत हो उठता है। आस्था का ऐसा अद्वितीय संगम विरले ही देखने को मिलता है।
हरसू ब्रह्मधाम केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि यह आस्था, श्रद्धा और विश्वास का जीवंत प्रतीक है, जहां अदृश्य शक्तियाँ भी बाबा की महिमा के आगे नतमस्तक हो जाती हैं।