Bihar News: कलम उठी तो फाइलें हिलीं, जब सच लिखना बना गुनाह, अस्पताल की सच्चाई उजागर करने पर पत्रकारों के खिलाफ चाल

Bihar News: मोहनिया अनुमंडलीय अस्पताल में भ्रष्टाचार की खबरें लिखने वाले पत्रकारों को फंसाने की कोशिश चल रही है। इससे पत्रकारों में रोष है।

Efforts are being made to implicate the journalists
कलम उठी तो फाइलें हिलीं- फोटो : reporter

Kaimur:  मोहनिया अनुमंडल अस्पताल में व्याप्त भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को उजागर करने वाले पत्रकारों को अब निशाना बनाया जा रहा है. आरोप है कि अस्पताल प्रशासन के कुछ चिकित्सक और कर्मी पुलिस के साथ मिलकर पत्रकारों को झूठे मामलों में फंसाने की साजिश रच रहे हैं. इस पूरे प्रकरण को लेकर मंगलवार को मोहनिया के सभी पत्रकारों की डाकबंगला में एक बैठक हुई, जिसकी अध्यक्षता हिंदुस्तान समाचार पत्र के वरिष्ठ संवाददाता डॉ. लक्ष्मण शरण सिंह ने की.

बैठक में पत्रकारों ने अनुमंडलीय अस्पताल में फैले भ्रष्टाचार की खबरें लिखने वाले पत्रकारों की आवाज़ दबाने के इन प्रयासों की कड़ी निंदा की. डॉ. लक्ष्मण शरण सिंह ने कहा, "जब हम सच्चाइयों को लिखते हैं, तो पुलिस और प्रशासन में बैठे गलत लोगों की नींद उड़ जाती है. जब उन्हें लगता है कि सच्चाई सामने आने पर उनका गला फंस जाएगा, ऐसी स्थिति में वे उन पत्रकारों को झूठे मामलों में फंसाने की कोशिश करते हैं." उन्होंने सोमवार देर शाम अनुमंडलीय अस्पताल में एक दैनिक समाचार पत्र के संवाददाता को झूठे मामले में फंसाने की कोशिश की घटना को 'बहुत दुखद' बताया. उन्होंने स्पष्ट किया कि उस पत्रकार का 'दोष' केवल इतना था कि उसने पूर्व में अस्पताल में घटित सच्ची घटनाओं को प्रकाशित किया था, जिसके परिणामस्वरूप कुछ संलिप्त स्वास्थ्य कर्मियों पर कार्रवाई भी हुई थी और उनकी प्रतिनियुक्ति दूसरी जगह की गई थी. हालांकि, कुछ समय बाद उन्हें पुनः अनुमंडलीय अस्पताल में पदस्थापित कर दिया गया, और अब ऐसे कर्मी उन पत्रकारों को अपना निशाना बनाना चाह रहे हैं. चिंता की बात यह है कि कुछ ऐसे पुलिस पदाधिकारी भी उनका साथ दे रहे हैं, जिनके गलत कार्यों को पत्रकार लिखते रहे हैं.

प्रभात खबर के संजय जायसवाल ने सोमवार देर शाम अपने पत्रकार साथी के साथ हुई घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा, "हम चौथे स्तंभ हैं. हम जन-जन की आवाज हैं. जब एक पत्रकार की आवाज को दबाने की कोशिश की जाएगी, तो यह लोकतंत्र की हत्या है." उन्होंने ज़ोर दिया कि जिस पत्रकार के साथ यह घटना हुई, वह एक कर्मठ और ईमानदार पत्रकार हैं, जिन्होंने अस्पताल प्रशासन और पुलिस की नाकामियों को उजागर किया था.

दैनिक जागरण के वरिष्ठ पत्रकार अजीत कुमार पांडेय ने चेतावनी दी कि यदि इसी तरह गलत लोगों द्वारा किए गए दोषारोपण के कारण पुलिस पत्रकारों के साथ गलत व्यवहार करेगी, तो यह कदापि बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि ऐसे कर्मी और पदाधिकारी पत्रकारों की आवाज़ दबाने और उनकी खबरों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं. पत्रकारों को झूठे और मनगढ़ंत मुकदमों में फंसाने की धमकी दी जा रही है, जिसके लिए महिला कर्मियों को ढाल बनाया जा रहा है. उन्होंने इसे लोकतंत्र की हत्या करार दिया.इस पूरे मामले से नाराज़ पत्रकारों ने निर्णय लिया है कि एक शिष्टमंडल एसपी हरि मोहन शुक्ला और कैमूर सिविल सर्जन डॉ. चंदेश्वरी रजक से मिलकर साजिशकर्ताओं पर कार्रवाई की मांग करेगा. पत्रकारों ने साफ किया कि यदि उनकी मांगों पर विचार नहीं किया जाता है, तो वे शांतिपूर्ण तरीके से अगला कदम उठाएंगे.

बैठक में डॉ. लक्ष्मण शरण सिंह, संजय जायसवाल, अजीत कुमार पांडेय के अलावा विनोद कुमार सिंह, दैनिक भास्कर के संवाददाता राकेश कुमार सिंह, चंदन सिंह, देवब्रत तिवारी, पब्लिक ऐप के अजय कुमार सिंह, मोहम्मद इब्राहिम, मीर जलालुद्दीन, शिवकुमार भारती, सोनू तिवारी इत्यादि पत्रकार भी शामिल रहे. यह घटना कैमूर में पत्रकारों की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति के अधिकार पर एक बड़ा सवाल खड़ा करती है.

रिपोर्ट- देव कुमार तिवारी