डीएम ने बीडीओ को किया निलंबित, जिलाधिकारी का दो टूक अल्टीमेटम, इस्तीफा के दुष्प्रचार की कीमत चुकानी पड़ी बीडीओ को!
प्रशासनिक हलकों में उस वक्त हड़कंप मच गया जब जिलाधिकारी ने प्रखंड विकास पदाधिकारी को निलंबित कर दिया। यह कार्रवाई मतदाता पुनरीक्षण कार्य के दौरान निर्वाचन से जुड़े कार्यों को लेकर किए गए दुष्प्रचार के आरोपों पर की गई है।..

प्रशासनिक हलकों में उस वक्त हड़कंप मच गया जब जिलाधिकारी ने प्रखंड विकास पदाधिकारी को निलंबित कर दिया। यह कार्रवाई मतदाता पुनरीक्षण कार्य के दौरान निर्वाचन से जुड़े कार्यों को लेकर किए गए दुष्प्रचार के आरोपों पर की गई है।
कटिहार डीएम ने साफ तौर पर कहा है कि बारसोई बीडीओ ने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम के तहत चल रहे कार्यों को जानबूझकर विवादित बनाया। उन्होंने अलग-अलग समाचार माध्यमों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिए निर्वाचन प्रक्रिया को लेकर भ्रामक और गैर-जिम्मेदार बयान दिए, जिससे जनता में भ्रम फैला और चुनाव आयोग की प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगा।
इस संदर्भ में बीडीओ हरिओम शरण से प्रशासन ने स्पष्टीकरण मांगा था, लेकिन उनका जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया। नतीजतन, उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया और उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई प्रारंभ कर दी गई है।
दिलचस्प बात यह है कि 12 जुलाई को हरिओम शरण ने अनुमंडल पदाधिकारी दीक्षित श्वेतम पर प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफे के बाद से वे लापता थे और किसी से संपर्क में नहीं आ रहे थे। हाल ही में सोमवार को वे अचानक कार्यभार पर लौटे, लेकिन प्रशासनिक कार्रवाई का शिकंजा पहले ही कस चुका था।
जिलाधिकारी मीणा ने स्पष्ट और सख्त लहजे में जिले के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को चेताया है कि यदि कोई भी निर्वाचन कार्य में लापरवाही या बाधा उत्पन्न करता है, तो उसके विरुद्ध लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने यह भी बताया कि 25 जून से शुरू हुए मतदाता विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम के तहत अब तक 83% फॉर्म प्राप्त हो चुके हैं और 65.67% डेटा अपलोड किया जा चुका है। शेष कार्य को 26 जुलाई तक पूर्ण करने का निर्देश दिया गया है। इस घटना ने साफ कर दिया है कि बिहार में चुनावी कार्यों को लेकर प्रशासन अब किसी भी प्रकार की अनुशासनहीनता को बर्दाश्त नहीं करेगा।