बड़हिया रेफरल अस्पताल में इलाज के नाम पर लूट? आयुर्वेदिक डॉक्टर पर कमीशन के लिए फर्जी अल्ट्रासाउंड लिखने का आरोप
बड़हिया रेफरल अस्पताल में की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठे हैं. यहां मरीजों का कहना है कि उन्हें बिना वजह अल्ट्रासाउंड के लिए भेजा जाता है.

Bihar News: लखीसराय जिला के बड़हिया रेफरल अस्पताल में एक बार फिर से स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति सवालों के घेरे में आ गई है। आरोप है कि यहां तैनात आयुर्वेद चिकित्सक बिना किसी स्पष्ट आवश्यकता के मरीजों को अल्ट्रासाउंड जांच कराने के लिए भेज रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह सब कमीशनखोरी के उद्देश्य से किया जा रहा है, जिससे गरीब और जरूरतमंद मरीजों को मानसिक, शारीरिक और आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
जानकारी के अनुसार, अस्पताल में प्रतिदिन औसतन 15 अल्ट्रासाउंड जांच कराई जा रही है। यह संख्या एक सामान्य रेफरल अस्पताल के लिए असामान्य मानी जा रही है, और इसे स्थानीय लोग 'बड़ी लूट' करार दे रहे हैं।
पीड़ित की आपबीती:
ताजपुर निवासी नेहा कुमारी ने अपनी आपबीती साझा करते हुए बताया कि वह सिर घूमने और चक्कर आने की शिकायत लेकर बड़हिया रेफरल अस्पताल पहुंची थीं। वहां तैनात डॉक्टर, जो आयुर्वेद के थे, ने उन्हें "लीवर में सूजन" की बात कहकर अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह दी। रिपोर्ट आने के बाद जब वह उसे दिखाने दोबारा अस्पताल गईं, तब एमबीबीएस डॉक्टर अनिल ठाकुर थे. उन्होंने रिपोर्ट देखकर बताया कि ऐसी कोई समस्या नहीं है। नेहा कुमारी ने बताया कि डॉक्टर की पहली बात सुनकर वह दो दिनों तक घबराहट में खाना-पीना तक छोड़ चुकी थीं।
बड़ा सवाल:
इस घटना ने बड़हिया रेफरल अस्पताल की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या वाकई मरीजों को जानबूझकर डराकर अनावश्यक जांच के लिए भेजा जा रहा है? क्या गरीब मरीजों को कमीशन सिस्टम का शिकार बनाया जा रहा है? और यदि ऐसा है, तो आखिर कब और कौन इस लूट पर रोक लगाएगा?
प्रशासन से उम्मीद:
जनता की मांग है कि जिला स्वास्थ्य विभाग इस मामले की गंभीरता से जांच करे और यदि आरोप सही पाए जाते हैं तो दोषी डॉक्टरों पर सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही अस्पतालों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए निगरानी तंत्र को मजबूत किया जाए.
कमलेश की रिपोर्ट