बिहार चुनाव से पहले भूमिहार स्वाभिमान सम्मेलन बना सियासी रणभूमि, डॉ संजीव को EOU का नोटिस संयोग या साजिश? सवालों में JDU
‘ब्रह्मर्षि स्वाभिमान सम्मेलन’ को लेकर राजनीतिक तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है। परबत्ता से जदयू विधायक डॉ. संजीव कुमार को जारी EOU के नोटिस पर कई सवाल उठे हैं.

Bhumihar : बिहार की सियासत में जातीय गोलबंदी एक बार फिर चर्चा के केंद्र में है। परबत्ता से जदयू विधायक डॉ. संजीव कुमार की अगुवाई में 17 अगस्त को पटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में आयोजित किए जा रहे ‘ब्रह्मर्षि स्वाभिमान सम्मेलन’ को लेकर राजनीतिक तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है। सम्मेलन की घोषणा होते ही डॉ. संजीव को आर्थिक अपराध इकाई (EOU) की ओर से नोटिस थमाया गया है, जिसे उनके समर्थकों ने राजनीतिक दबाव और समाज की आवाज को कुचलने की कोशिश बताया है।
पार्टी के भीतर से ही दबाव?
सूत्रों के अनुसार, सम्मेलन की घोषणा के बाद जदयू के ही एक वरिष्ठ नेता ने विधायक संजीव कुमार को फोन कर सलाह दी कि वे पार्टी में रहते हुए इस प्रकार का जातीय सम्मेलन न करें। इस पर डॉ. संजीव ने जवाब दिया कि “जब अन्य जातियों के नेता अपने समाज का सम्मेलन कर सकते हैं, तो मैं भूमिहार समाज को एकजुट क्यों नहीं कर सकता?” इस बयान के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर भी तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कई लोगों ने सवाल उठाया है कि क्या ब्रह्मर्षि समाज की आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है?
सम्मेलन के उद्देश्य क्या हैं?
विधायक डॉ. संजीव कुमार ने स्पष्ट किया कि यह सम्मेलन किसी भी राजनीतिक दल के विरोध में नहीं है, बल्कि ब्रह्मर्षि समाज के सम्मान, अधिकार और संगठन के लिए आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने कुछ अहम मांगें भी सामने रखीं जिसमें बिहार के पहले मुख्यमंत्री डॉ. श्रीकृष्ण सिंह को भारत रत्न देने की सिफारिश, EWS वर्ग के छात्रों को उम्र सीमा में छूट, हर जिले में EWS छात्रावास की व्यवस्था, बिहटा एयरपोर्ट का नाम स्वामी सहजानंद सरस्वती के नाम पर करने की मांग, बेतिया मेडिकल कॉलेज का नाम ‘महारानी जानकी कुंवर मेडिकल कॉलेज’ करने की मांग, जातिगत पहचान में “भूमिहार ब्राह्मण” या “बाभन” दर्ज करने की मांग और गैर-मजरूआ खास और टोपोलैंड की बंदोबस्ती प्रक्रिया की बहाली शामिल है.
EOU के नोटिस पर उठा सवाल
सम्मेलन की तारीख नजदीक आने के साथ ही ईओयू द्वारा विधायक संजीव को भेजे गए नोटिस को लेकर सियासी गलियारों में चर्चा तेज हो गई है। कई राजनीतिक विश्लेषकों और ब्रह्मर्षि समाज से जुड़े नेताओं ने इसे “राजनीतिक बदले की कार्रवाई” बताया है। दरअसल, वर्ष 2024 में जब नीतीश कुमार ने महागठबंधन छोड़कर एनडीए का दामन थाम लिया था. उस दौरान विधानसभा में बहुमत साबित करने को लेकर कई विधायकों के पाला बदलने के कथित आरोप लगे थे. इसी मामले में संजीव कुमार को ईओयू का नोटिस भेजा गया है.
वरिष्ठ अधिवक्ता मृणाल माधव की अपील
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता मृणाल माधव ने कहा कि “सरकार को यह समझना चाहिए कि ब्रह्मर्षि समाज अपने स्वाभिमान से कोई समझौता नहीं करता। यह सम्मेलन समाज की ताकत और एकजुटता का प्रतीक बनेगा।” उन्होंने डॉ संजीव की पहल का स्वागत करते हुए ब्रह्मर्षि समाज से इसे समर्थन देने की अपील की.
कमलेश की रिपोर्ट