Bihar News: लखीसराय में पर्यटन संगोष्ठी और विरासत विहार का भव्य शुभारम्भ, कई देशों के बुद्ध भिक्षु, शोधकर्ता और छात्रो का जुटान

लखीसराय में शुक्रवार से तीन दिवसीय पर्यटन संगोष्ठी एवं विरासत विहार का शुभारंभ हुआ. इसमें भारत के विभिन्न राज्यों के साथ ही कई अन्य देशों से बुद्ध भिक्षु, शोधकर्ता और छात्रो का जुटान हुआ है.

Tourism seminar and heritage walk
Tourism seminar and heritage walk- फोटो : news4nation

Bihar News: ज़िला प्रशासन लखीसराय, पर्यटन विभाग एवं बिहार फ़ाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय पर्यटन संगोष्ठी एवं विरासत विहार का शुभारंभ शुक्रवार को हुआ। कार्यक्रम के पहले दिन के प्रथम सत्र में देश-विदेश से आए बुद्ध भिक्षु, शोधकर्ता और छात्र-छात्राओं की उपस्थिति ने आयोजन को गरिमा प्रदान की। संगोष्ठी का उद्घाटन ज़िलाधिकारी मिथिलेश मिश्र ने दीप प्रज्वलित एवं प्रार्थना कर किया। इस अवसर पर उन्होंने लखीसराय की ऐतिहासिक और धार्मिक विरासत को न केवल बिहार बल्कि वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि यह पहल लखीसराय के पर्यटन मानचित्र को मजबूत आधार देगी और आने वाले समय में यहाँ की सांस्कृतिक धरोहर को लेकर नए अवसर सामने आएंगे।


कार्यक्रम में सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, भूटान, तिब्बत और बोधगया से आए बौद्ध भिक्षु एवं नालंदा नवविहार विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने भी भाग लिया। उनकी उपस्थिति ने आयोजन को अंतरराष्ट्रीय स्वरूप प्रदान किया। जिला पदाधिकारी  मिथिलेश मिश्र ने अपने संबोधन में कहा कि जिला प्रशासन द्वारा आने वाले पर्यटकों को सुविधाएं एवं भौतिक संरचना विकसित की जाएगी, जिससे की इस क्षेत्र में पर्यटन का विकास हो सके।


बज्रयान बुद्धिज्म के दृष्टिकोण से लखीसराय क्षेत्र के महत्व पर विचार व्यक्त करते हुए इतिहासविद् अशोक कुमार सिंह ने अपने व्याख्यान में बताया कि उरेन, धनौरी, लाली पहाड़ी, सहमालपुर जैसे गाँवों में कई ऐसे तथ्य हैं जहाँ से बुद्ध धर्म की बज्रयान शाखा से जुड़ी ऐतिहासिक धरोहरों के प्रमाण मिलते हैं। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र कभी बौद्ध शिक्षा, साधना और संस्कृति का प्रमुख केंद्र रहा है।

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मौके पर उप विकास आयुक्त सुमित कुमार, ज़िला पर्यटन प्रभारी पदाधिकारी शशि कुमार, ज़िला जन संपर्क अधिकारी विनोद प्रसाद, डीआरडीए निदेशक नीरज कुमार, ज़िला कला संस्कृति पदाधिकारी मृणाल रंजन सहित अन्य अधिकारी एवं बुद्धिज्म शोध से जुड़े विशेषज्ञ भी मौजूद थे। कार्यक्रम के संयोजक रविराज पटेल, अभिनव कुमार, कुमार अभिषेक और उत्कर्ष ने आयोजन की रूपरेखा को सफलतापूर्वक प्रस्तुत किया।


तीन दिवसीय इस संगोष्ठी का उद्देश्य लखीसराय की ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को संजोना और उसे पर्यटन के माध्यम से व्यापक पहचान दिलाना है। आगामी सत्रों में लखीसराय के पुरातात्विक स्थलों पर भ्रमण और शोधपरक प्रस्तुतियाँ आयोजित होना शामिल है।

पुष्कर की रिपोर्ट