हिंदू धर्म में व्यतिपात योग की महिमा अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है। वाराह पुराण में इस योग के दौरान किए गए जप, पाठ और प्राणायाम का फल एक लाख गुना बताया गया है। विशेषकर, इस समय भगवान सूर्यनारायण की कृपा प्राप्त करने के लिए जप करने वालों को विशेष लाभ मिलता है। इस वर्ष व्यतिपात योग 19 अक्टूबर 2024, शनिवार को शाम 05:42 बजे से शुरू होकर 20 अक्टूबर, रविवार को दोपहर 02:12 बजे तक रहेगा।
व्यतिपात योग का अर्थ और कथा: व्यतिपात योग का अर्थ है "विपरीत स्थितियों में संतुलन बनाना।" इसके पीछे एक रोचक कथा है, जिसमें देवताओं के गुरु बृहस्पति की पत्नी तारा पर चंद्र देव की गलत नजर थी। इस कारण सूर्य देव नाराज हो गए। सूर्य देव ने चंद्र देव को समझाया, लेकिन उन्होंने उनकी बात को अनसुना कर दिया। इससे दुखी होकर सूर्य देव ने अपने गुरु की याद की और उनके प्रति श्रद्धा जताई। इसी क्षण को व्यतिपात योग कहा जाता है। इस समय में किए गए जप और ध्यान से न केवल भक्तों को मानसिक शांति मिलती है, बल्कि भगवान की कृपा भी प्राप्त होती है। वाराह पुराण में इस समय जप, सुमिरन और प्राणायाम की महिमा का विशेष उल्लेख है।
जप और प्राणायाम का महत्व: व्यतिपात योग के दौरान यदि व्यक्ति जप पाठ, माला से जप या मानसिक जप करता है, तो उसे विशेष फल की प्राप्ति होती है। इस समय ध्यान केंद्रित करने से व्यक्ति की आध्यात्मिक ऊर्जा बढ़ती है और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आ सकता है।
उपाय और महत्व : विशेषज्ञों के अनुसार, व्यतिपात योग के समय साधक को अपनी प्राणायाम की साधना और जप को प्राथमिकता देनी चाहिए। यह न केवल आत्मा को शांति प्रदान करेगा, बल्कि व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करेगा। इस प्रकार, व्यतिपात योग एक महत्वपूर्ण अवसर है, जब भक्त अपनी साधना को और अधिक प्रबल बना सकते हैं और भगवान की कृपा को आकर्षित कर सकते हैं। इस योग के महत्व को समझते हुए, भक्तों को इसे अपने जीवन में शामिल करने की कोशिश करनी चाहिए।
इस विशेष योग के दौरान ध्यान और साधना से न केवल व्यक्ति की आध्यात्मिक स्थिति में सुधार होगा, बल्कि वे अपने जीवन में एक नई दिशा भी प्राप्त कर सकते हैं