फैमिली प्लानिंग एक ऐसा विषय है, जो हर कपल के जीवन में बहुत ही सोच-समझकर लिया जाने वाला निर्णय होना चाहिए। यह केवल एक बच्चे को जन्म देने तक सीमित नहीं है, बल्कि उसके पालन-पोषण की जिम्मेदारी भी इसमें शामिल होती है। कई बार समाज, परिवार, या अपनी परिस्थितियों के दबाव में आकर कपल्स जल्दबाजी में ऐसे फैसले कर लेते हैं, जो आगे चलकर उनके जीवन में कई मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं। ऐसे में जरूरी है कि बच्चे के जन्म से पहले कपल्स अपनी मानसिक और आर्थिक स्थिति के साथ-साथ अपने रिश्ते को भी परखें और समझदारी से फैसला लें।
परिवार का दबाव
कई बार माता-पिता या सास-ससुर का दबाव होता है कि शादी के बाद जल्द से जल्द पोते-पोती का चेहरा दिखा दें। लेकिन बच्चे का निर्णय कपल की व्यक्तिगत इच्छा और मानसिक तैयारियों पर निर्भर होना चाहिए। यदि आप खुद बच्चे की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं हैं, तो किसी और की इच्छा को पूरा करने के लिए इस निर्णय को न लें।
रिश्तों को सुधारने के लिए बच्चा
कई बार लोग मानते हैं कि कठिन दौर से गुजर रहे रिश्तों को बच्चा सुधार सकता है। लेकिन कई अध्ययन बताते हैं कि बच्चे की जिम्मेदारियां पति-पत्नी के बीच तनाव को और बढ़ा सकती हैं। इसलिए यह निर्णय तब ही लें जब आपका रिश्ता मजबूत हो।
समाज का दबाव
हमारा समाज शादी के बाद बच्चों को एक अनिवार्य कड़ी मानता है। अगर किसी दंपत्ति के बच्चे नहीं होते, तो उन्हें ताने सुनने पड़ते हैं। यह मानसिकता कई बार कपल्स को मजबूर करती है कि वे बिना तैयारी के फैमिली प्लानिंग करें। यह सोच आपके और आपके बच्चे के लिए नुकसानदेह हो सकती है।
अपने सपनों को बच्चों के जरिए पूरा करना
कई लोग अपने अधूरे सपनों को बच्चों के जरिए पूरा करने की चाह रखते हैं। लेकिन बच्चों का अपना एक व्यक्तित्व होता है। उनके ऊपर अपने सपनों का बोझ डालना उन्हें मानसिक तनाव दे सकता है।
दूसरों को देखकर निर्णय लेना
यदि आपकी उम्र के लोग बच्चे कर रहे हैं, तो यह जरूरी नहीं कि आप भी उनकी देखा-देखी करें। बच्चे के लिए न केवल मेडिकल दृष्टिकोण से तैयार रहना जरूरी है, बल्कि मानसिक और आर्थिक स्थिति का भी मजबूत होना आवश्यक है।