ठंड के दस्तक देने से पहले ही हम शॉपिंग मॉल, ऑनलाइन स्टोर्स या नजदीकी रिटेल आउटलेट से अच्छे और स्टाइलिश कपड़े खरीदते हैं। यह कपड़े अच्छे दिखते हैं, क्वालिटी भी अच्छी लगती है। इसके बावजूद भी सर्दियां खत्म होने से पहले ही ये खराब होने लगते हैं। वहीं, कई दोस्तों के पुराने कपड़े भी सालों-साल नए जैसे बने रहते हैं। हम सोचते हैं कि हमारे कपड़े तो ब्रांडेड हैं, ऑथेंटिक स्टोर्स से लिए गए हैं, फिर क्यों खराब हो रहे हैं? किसी जान-पहचान वाली दुकान से लिए होते हैं, तो उससे शिकायत करते हैं या कंपनी को कोस रहे होते हैं। जबकि गलती हमारी ही होती है। तो चलिए इन गलतियों के बारे में जानते हैं।
सर्दी के कपड़े ऊन और फर जैसे नाजुक मटेरियल से बने होते हैं। ऐसे कपड़े नमी सोखते हैं, जिससे इनमें फंगस और बदबू की समस्या पैदा हो सकती है। इनके फाइबर को कीड़े नुकसान पहुंचा सकते हैं। इन कपड़ों को सूखे और हवादार स्थान पर रखना चाहिए और नेफ्थलीन बॉल्स का इस्तेमाल करना चाहिए। गर्म कपड़े गलत तरीके से धोने, सही से स्टोर न करने के कारण जल्दी खराब हो सकते हैं। ऊनी कपड़े गर्म पानी में धोने पर सिकुड़ जाते हैं और अपनी कोमलता खो देते हैं। बार-बार लगातार पहनने से भी इनकी गुणवत्ता खराब होती है।
सर्दियों के कपड़े आमतौर पर ऊन, लिनेन, सिल्क, लेदर और जानवरों के फर जैसे डेलिकेट मटेरियल्स से बनाए जाते हैं। ऐसे में इनकी धुलाई के तरीके भी अलग होते हैं। लेकिन हम इन कपड़ों को भी सामान्य डिटर्जेंट से धो देते हैं और उनकी चमक खत्म हो जाती है। सर्दियों में पसीना नहीं होने के कारण अक्सर कपड़े गंदे नहीं दिखते हैं। ऐसे में बहुत सारे लोग कपड़े नियमित रूप से नहीं धुलते हैं, जबकि लगातार जमा हो रही धूल और गंदगी की वजह से कुछ ही दिनों में उनकी क्वालिटी खराब होने लगती है।
हममें से बहुत सारे लोग एक साथ ही सारे कपड़ों को वॉशिंग मशीन या टब में डाल देते हैं। जबकि अलग-अलग फैब्रिक का इस्तेमाल कर बनाए गए कपड़े अलग-अलग तरीके से धुलाई और रख-रखाव की मांग करते हैं। वॉशिंग मशीन में कपड़े डालकर लंबे समय तक के लिए छोड़ देते हैं और अन्य कामों में लग जाते हैं। इसकी वजह से भी कपड़े जल्दी खराब होते हैं और उनका रंग फीका पड़ जाता है।
सर्दियां खत्म होते ही हमें ऊनी कपड़े भारी-भरकम बोझ की तरह लगने लगते हैं और हम इनके साथ सौतेला व्यवहार करते हैं। उनका इस्तेमाल खत्म होते ही हम उन्हें जैसे-तैसे एक ढेर की तरह किसी सूटकेस, आलमारी या बक्से में जमा कर देते हैं। धूल और कीड़ों के कारण इन पर दाग और बदबू आने के साथ छेद भी हो सकता है। सर्दियों में अक्सर लोग अपने फेवरेट स्वेटर या जैकेट को बार-बार पहनते हैं। अधिक और लगातार पहनने से कपड़े का रंग फीका पड़ जाता है और वे खराब दिखने लगते हैं।