बिहार में पुलिस लाइन में सिपाहियों से वसूली का पर्दाफाश,पैसों के साथ सार्जेंट गिरफ्तार भेजे गए जेल

मुंगेर में पुलिस लाइन के सार्जेन्ट सुमित कुमार को नवनियुक्त सिपाहियों से मेडिकल फिटनेस के नाम पर प्रति सिपाही 2500 रुपये की अवैध वसूली करने के आरोप में निलंबित कर FIR दर्ज कर भेजा गया जेल

बिहार में पुलिस लाइन में सिपाहियों से वसूली का पर्दाफाश,पैसो
बिहार में पुलिस लाइन में सिपाहियों से वसूली का पर्दाफाश- फोटो : NEWS 4 NATION

N4N डेस्क:  बिहार के मुंगेर जिला पुलिसबल में योगदान कर चुके 334 नवनियुक्त सिपाहियों से मेडिकल में फिट घोषित करने के नाम पर अवैध वसूली के मामले का पर्दाफाश हुआ है. मामले में कार्रवाई करते हुए एसपी ने तत्काल प्रभाव से पुलिस लाइन में तैनात सार्जेंट सुमित कुमार को निलंबित कर दिया है. एसपी सैयद इमरान मसूद ने बताया कि सार्जेंट सुमित कुमार के पास से सिपाहियों से अवैध वसूली किया गया 36 हजार रुपया नगद भी बरामद हुआ है.

सार्जेंट अरेस्ट

जिसे तत्काल निलंबित करते हुए पूरबसराय थाना में प्राथमिकी दर्ज कराने के बाद सार्जेंट सुमित कुमार को गिरफ्तार कर ज्यूडिशियल कस्टडी में जेल भेज दिया गया है. वहीं एसपी ने बताया कि जिला बल में योगदान करने पहुंचे नवनियुक्त सिपाहियों से अवैध वसूली की शिकायत 11 जून को उन्हें प्राप्त हुई थी. पुलिस उपाधीक्षक को मामले की जांच कर रिपोर्ट सबमिट जमा करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी.

भेजे गए जेल 

जांच में सामने आया है कि 60 सिपाही सार्जेंट को पैसा दे चुके थे. जांच के दौरान सार्जेंट सुमित कुमार के पास से सिपाही अभ्यर्थियों से वसूला गया 36 हजार रुपये नकद भी बरामद हुआ. एसपी ने बताया कि सार्जेंट सुमित कुमार को तत्काल प्रभाव से निलंबित करते हुए पूरबसराय थाना में प्राथमिकी दर्ज कराने के बाद गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में मुंगेर मंडल कारा भेज दिया है. उसे तत्काल प्रभाव से निलंबित भी कर दिया गया है. पुलिस अधीक्षक सैयद इमरान मसूद ने मीडिया को बताया है कि मुंगेर जिले में बिहार सरकार की ओर से नवनियुक्त 334  सिपाहियों के योगदान की प्रक्रिया चल रही है. इस योगदान की प्रक्रिया में मेडिकल फिटनेस की जांच मुंगेर पुलिस लाइन परिसर में चल रही थी. नवनियुक्त सिपाहियों को मेडिकल में फिट करने के नाम पर प्रति सिपाही की वसूली का आरोप सार्जेंट सुमित कुमार पर लगाया जा रहा था.एसपी सैयद इमरान मसूद ने एक पुलिस उपाधीक्षक स्तर के पदाधिकारी से मामले की जांच कराई। जांच में आरोप सही पाया गया.