Kanwar Yatra:जब मुंगेर की राह पर उतरे स्वयं महादेव! कांवरियों के बीच शिवस्वरूप बम ने रच दिया अलौकिक दृश्य
Kanwar Yatra:कच्ची कांवरिया पथ पर उस समय सनातन धर्म की दिव्यता सजीव हो उठी जब भगवान शिव का साक्षात रूप धारण किए एक कांवरिया 150 श्रद्धालुओं के जत्थे के साथ डाक कांवड़ में आगे-आगे चलता दिखाई दिया।

Munger: जिला की पवित्र धरती पर सावन की पावन बेला में एक ऐसा दृश्य उपस्थित हुआ, जिसे देख हर आंख श्रद्धा से भर उठी और हर होंठ अनायास 'हर-हर महादेव' का घोष करने लगे। कच्ची कांवरिया पथ पर उस समय सनातन धर्म की दिव्यता सजीव हो उठी। जब भगवान शिव का साक्षात रूप धारण किए एक कांवरिया 150 श्रद्धालुओं के जत्थे के साथ डाक कांवड़ में आगे-आगे चलता दिखाई दिया।
पूर्णिया जिले के भवानीपुर से आए इस कांवरियों के जत्थे का नेतृत्व कर रहे अखिलेश कुमार गुप्ता ने जब भगवान भोलेनाथ का अलौकिक स्वरूप धारण कर कांवर यात्रा आरंभ की, तो समस्त वातावरण भक्ति में डूब गया। वे बाघछाल जैसे वस्त्र धारण किए, पूरे शरीर पर नीले रंग से रचे-पुते, गले में सर्पमाला, सिर पर चंद्र और गंगा, हाथ में त्रिशूल और मुख पर अपूर्व तेज लिए जब पथ पर बढ़े, तो राहगीर, भक्तगण और स्थानीय जनसमूह सब ठहर कर उन्हें निहारने लगे।
अखिलेश गुप्ता पिछले 15 वर्षों से निरंतर इसी स्वरूप में बाबाधाम की यात्रा करते आ रहे हैं। उनका कहना है, “जब यह रूप धारण करता हूँ, तो लगता है मानो स्वयं भोलेनाथ मेरे अंग-अंग में उतर आते हैं। यह केवल रूप नहीं, यह तो साधना है, सेवा है और सनातन धर्म के प्रचार का माध्यम है।” उनके साथ चल रहे अन्य कांवरिये भी इस शिवमयी नेतृत्व से ऊर्जान्वित हो उठते हैं। वे कहते हैं कि अखिलेश जी का यह स्वरूप उन्हें तप, त्याग और आस्था की जीवंत अनुभूति कराता है। मुंगेर की धरती पर जब शिव का यह प्रतिरूप आगे बढ़ा, तो हर पड़ाव पर श्रद्धालु उनके चरणों में नतमस्तक होते गए।
सावन की यह यात्रा केवल जल चढ़ाने की परंपरा नहीं, अपितु धर्म, आस्था और आत्मबल का वह संगम है, जहां हर कांवरिया एक चलता-फिरता तीर्थ बन जाता है।
रिपोर्ट- मो. इम्तियाज खान