Bihar Bypass: तेरह बरस का सूना सफर अब हुआ रोशन, मुज़फ्फरपुर-हाजीपुर बाइपास पर परिचालन शुरु, आरा-पटना सफर में मिलेगी राहत

Bihar Bypass:तेरह वर्षों तक अधर में लटके इस प्रोजेक्ट का खुलना दरअसल उस "विकास राजनीति" का प्रतीक है, जो वादों और अधूरे आश्वासनों के बोझ तले दबा था।

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तेरह बरस का सूना सफर अब हुआ रोशन- फोटो : social Media

Bihar Bypass: मुज़फ्फरपुर और हाजीपुर के बीच 17 किलोमीटर लंबे बहुप्रतीक्षित बाइपास का उद्घाटन न केवल सड़क निर्माण की सफलता है, बल्कि बिहार की राजनीतिक और प्रशासनिक कार्यशैली पर एक गहरी टिप्पणी भी है। तेरह वर्षों तक अधर में लटके इस प्रोजेक्ट का खुलना दरअसल उस "विकास राजनीति" का प्रतीक है, जो वादों और अधूरे आश्वासनों के बोझ तले दबा था। शनिवार को जैसे ही बाइपास आम यातायात के लिए खोला गया, मुज़फ्फरपुर की गलियों से लेकर हाजीपुर के चौक-चौराहों तक राहत की सांस ली गई। भारी वाहनों से मुक्त शहर और सरपट दौड़ती गाड़ियों ने विकास की चाल को नया तेवर दिया।

एनएच 22 के इस हिस्से को 200 करोड़ की लागत से तैयार किया गया है। इसमें 66 अंडरपास, चार छोटे पुल और एक रेल ओवरब्रिज बनाया गया है —यह सिर्फ इंजीनियरिंग की उपलब्धि नहीं, बल्कि प्रशासनिक इच्छाशक्ति की भी मिसाल है। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद दोबारा शुरू हुए निर्माण कार्य को एनएचएआई के अधिकारियों ने अपनी निगरानी में पूरा कराया। कपरपुरा आरओबी से लेकर पहाड़पुर छोर तक अधिकारियों की तैनाती इस बात का सबूत थी कि सत्ता अब जनता की सुविधा को लेकर सजग दिखना चाहती है।

यह बाइपास सिर्फ यातायात का मार्ग नहीं, बल्कि आने वाले चुनावों के लिए “विकास रिपोर्ट कार्ड” का हिस्सा बन चुका है। 13 वर्षों के ठहराव के बाद इसका उद्घाटन उस राजनीतिक संदेश को भी मजबूत करता है कि बिहार में काम अब दिखने लगा है। विपक्ष भले इसे देर से आया “विकास तमाशा” कहे, परंतु सत्ताधारी दल इसे अपने “गुड गवर्नेंस” का साक्ष्य बताने से नहीं चूकेंगे।

स्थानीय नागरिकों और वाहन चालकों की खुशी इस बात की गवाही है कि जनता को सिर्फ वादे नहीं, परिणाम चाहिए। चकिया से पटना जा रहे निशांत कुमार हों या पूर्णिया से आरा की ओर बढ़ते लखन साह, सबके शब्दों में राहत झलक रही थी। जाम से मुक्ति और समय की बचत ने लोगों के चेहरों पर उम्मीद का उजाला ला दिया है।

फिर भी कुछ कमियां बरकरार हैं  मोड़ों पर यातायात पुलिस का अभाव और खतरनाक स्पॉट्स पर ब्रेकर न होने से सुरक्षा का सवाल अभी बाकी है। डीएम और एनएचएआई के निर्देश पर जल्द सुधार की बात कही गई है। यह बाइपास अब सिर्फ सड़क नहीं रहा, बल्कि बिहार की विकास यात्रा की नई पगडंडी बन गया है ।